राकेश केसरी
कौशाम्बी। वातावरण परिवर्तन,खानपान की आदतें बदलने और टीवी पर आंख गड़ाकर देर तक बैठे रहने के कारण कम उम्र में बच्चे दृष्टि दोष से घिर रहे हैं। स्कूल आइ स्क्रीनिंग प्रोग्राम में आठ से 14 वर्ष तक के बच्चों के सर्वे में पता चला है कि विभिन्न कारणों से तीन प्रतिशत बच्चे और किशोरों की आंखें कमजोर हैं और इन्हें चश्मे की सख्त जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा अंधता निवारण कार्यक्रम के तहत हर साल स्कूल आइ स्क्रीनिंग प्रोग्राम चलाया जाता है। इसके अंतर्गत स्कूलों मे नेत्र चिकित्सकों की टीमें बच्चों का नेत्र परीक्षण कर रिपोर्ट शासन को भेजती हैं। सीनियर नेत्र सर्जन डॉ0 विनय सिंह कहते हैं कि बच्चों में नेत्र संबंधी रोग बढने के कारणों में कुपोषण,अल्ट्रा वायलट किरणें,ज्यादा टीवी देखना तथा कई अन्य कारण रहन.सहन से जुड़े हैं। वहीं,बच्चों का बदला खानपान भी इसका कारण है। नेत्र दोषों से ग्रसित बच्चों को चश्मे की जरूरत हो तो इससे परहेज नहीं कराना चाहिए। लगातार कंप्यूटर, मोबाइल, टीवी पर निगाह रखने वाले बच्चों को समय.समय पर आंखों को आराम देना चाहिए,स्वस्थ आंखों के लिए विटामिन, प्रोटीन, आयरनयुक्त खानपान जरूरी है,बच्चों को हरी सब्जियां,गाजर,मूली, टमाटर, खीरा, सेब,संतरा,पपीता, आम,अमरूद,अनार आदि फ ल दें। बच्चों की आंखों में पानी दिखे तो समझ लें कि आंख की मांसपेशियां कमजोर हैं,आंख में ज्यादा तकलीफ पर आइ स्पेशलिस्ट से जांच कराएं,बच्चों को आंखों के व्यायाम सिखाएं,जबकि सुबह घास पर नंगे पैर टहलने से नेत्र ज्योति बढ़ जाती है,आंखों को ठंडे पानी से ज्यादा ज्यादा धोना लाभकारी होता है,बच्चे सिर्फ एलसीडी मॉनीटर्स का ही प्रयोग करें।