राकेश केसरी
विश्व एड्स दिवस पर विशेष
कौशाम्बी। एड्स बीमारी के असुरक्षित सेक्स के अलावा भी कई कारण हैं। एचआईवी संक्रमण की चपेट में आने पर कई लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। कई हफ्तों बाद कुछ लोगों में फ्लू जैसा बीमारी के लक्षण भी दिखाते हैं। इस दिवस का उद्देश्य एचआईवी इन्फेक्शन के प्रसार के कारण होने वाली महामारी एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। एचआईवी/एड्स एक खतरनाक बीमारी है। इसका सिर्फ बचाव ही इलाज है। इसलिए इस साल 2022 में विश्व एड्स दिवस की थीम एक्युलाइज यानी समानता निर्धारित की गई है। इस वर्ष की थीम से हमारे समाज में फैली हुई असमानताओं को दूर करके एड्स को पूरी तरह से खत्म करने पर कदम बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।
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एचआईवी और एड्स
वास्तव में एचआईवी के तीन चरण हैं और एचआईवी का इलाज नहीं कराने पर कम से कम दस साल के अंदर व्यक्ति को एड्स हो सकता है। इसके पहले चरण से पहले व्यक्ति को दो से चार हफ्तों में एचआईवी के लक्षण महसूस होने लगते हैं जबकि पहले चरण में व्यक्ति को फ्लू, थकान, सर्दी और बुखार जैसे लक्षण महसूस होते हैं। दूसरे चरण में एचआईवी का इलाज शामिल है जहां पीड़ित के लक्षणों को दवाओं के जरिए दबाने की कोशिश की जाती है और एचआईवी की फैलने का कम खतरा होता है। तीसरा चरण वो है जिसमें कोई व्यक्ति एचआईवी की दवा नहीं ले रहा है यानी उसे एड्स का खतरा होता है।
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एचआईवी पीड़ित लोग भी जी सकते हैं सामान्य जीवन
आधुनिक चिकित्सा की वजह से एचआईवी से पीड़ित लोगों का सामान्य जीवन जीना काफी हद तक संभव हो गया है। अगर एचआईवी के साथ आपको टीबी, इन्फेक्शन और कैंसर जैसे रोग नहीं है, तो आप सामान्य उपचार के साथ बेहतर जीवन जी सकते हैं।
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कैसे फैलता हैं एड्स रोग
एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन सम्पर्क से। एच.आई.वी. संक्रमित सिरिंज व सूई का दूसरो के द्वारा प्रयोग करने सें। एच.आई.वी. संक्रमित मां से शिशु को जन्म से पूर्व, प्रसव के समय, या प्रसव के शीघ्र बाद। एच.आई.वी. संक्रमित अंग प्रत्यारोपण से। एक बार एच.आई.वी.विषाणु से संक्रमित होने का अर्थ है,जीवनभर का संक्रमण एवं दर्दनाक मृत्यु
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एड्स रोग से बचाव
जीवन-साथी के अलावा किसी अन्य से यौन संबंध नही रखे। यौन सम्पर्क के समय निरोध(कण्डोम) का प्रयोग करें। मादक औषधियों के आदी व्यक्ति के द्वारा उपयोग में ली गई सिरिंज व सूई का प्रयोग न करें। एड्स पीडित महिलाएं गर्भधारण न करें, क्योंकि उनसे पैदा होने वाले शिशु को यह रोग लग सकता है। रक्त की आवश्यकता होने पर अनजान व्यक्ति का रक्त न लें, और सुरक्षित रक्त के लिए एच.आई.वी. जांच किया रक्त ही ग्रहण करें। डिस्पोजेबल सिरिन्ज एवं सूई तथा अन्य चिकित्सीय उपकरणों का 20 मिनट पानी में उबालकर जीवाणुरहित करके ही उपयोग में लेवें, तथा दूसरे व्यक्ति का प्रयोग में लिया हुआ ब्लेड/पत्ती काम में ना लेंवें। एड्स-लाइलाज है,बचाव ही उपचार है।
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एच.आई.वी. संक्रमण बाद लक्षण
एच.आई.वी. पोजिटिव व्यक्ति में 7 से 10 साल बाद विभिन्न बीमारिंयों के लक्षण पैदा हो जाते हैं जिनमें ये लक्षण प्रमुख रूप से दिखाई पडते है। गले या बगल में सूजन भरी गिल्टियों का हो जाना। लगातार कई-कई हफ्ते अतिसार घटते जाना। लगातार कई-कई हफ्ते बुखार रहना। हफ्तो खांसी रहना। अकारण वजन घटते जाना। मूंह में घाव हो जाना। त्वचा पर दर्द भरे और खुजली वाले ददोरे/चकते हो जाना। उपरोक्त सभी लक्षण अन्य सामान्य रोगों, जिनका इलाज हो सकता है, के भी हो सकते हैं। किसी व्यक्ति को देखने से एच.आई.वी. संक्रमण का पता नहीं लग सकता- जब तक कि रक्त की जांच ना की जाये।
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एड्स नही फैलता इन तरीके से
एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के साथ सामान्य संबंधो से,जैसे हाथ मिलाने, एक साथ भोजन करने,एक ही घडे का पानी पीने,एक ही बिस्तर और कपडो के प्रयोग,एक ही कमरे अथवा घर में रहने, एक ही शौचालय,स्नानघर प्रयोग में लेने से, बच्चों के साथ खेलने से यह रोग नहीं फैलता है,मच्छरों/खटमलों के काटने से यह रोग नहीं फैलता है।