राकेश केसरी
कौशाम्बी। कौशाम्बी व फतेहपुर की सरहद पर स्थित मोंगरी का ताल अफसरों की अनदेखी से दुर्दशा का शिकार है। जनप्रतिनिधि भी सौतेला व्यवहार कर रहे हैं। कभी इस ताल में खूबसूरत पक्षियों का बसेरा होता था। जो इस ताल की शोभा बढ़ाते थे। प्रशासनिक उपेक्षा और जनप्रतिनिधियों के सौतेले व्यवहार से मोंगरी ताल की स्थिति बदतर हो गई है। स्थानीय लोगों के मुताबिक अंग्रेज अधिकारी पक्षी विहार के लिए अक्सर इसी ताल में आया करते थे। हजारों बीघा के क्षेत्रफल वाले इस ताल से न सिर्फ दो जनपदों की सरहदें जुड़ी हैं बल्कि दोनों जनपदों के सांस्कृतिक और सामाजिक रिश्ते की डोर भी इस ताल की वजह से मजबूत है। धान,गेहूं,चना,मटर,सरसों आदि फसलों के लिए बेहद उपजाऊ यह ताल कभी खूबसूरत और प्रवासी पक्षियों का मौसमी बसेरा था। वहीं अन्न उत्पादन में अझुवा मंडी का सबसे अधिक आवक केंद्र भी। लोगों के मुताबिक अलवारा झील की तरह यह भी पर्यटन का एक आकर्षण केंद्र हो सकता है। साथ ही किसानों के लिए ताल कटोरा भी। बरसात के मौसम में भारी पानी के फैलाव से किसानों को होने वाले नुकसान के लिए ससुर खदेरी नदी से जुड़े नाले के जरिए मोंगरी के ताल का पानी गंगा नदी तक पहुंचाने का एक मात्र सहारा है। स्थानीय लोगों के मुताबिक अगर प्रशासन या जनप्रतिनिधि इसके सुंदरीकरण और जल निकासी का पुख्ता बंदोबस्त कर दें तो किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो सकती है। केशवापुर के लल्ला सिंह पटेल के मुताबिक कई दफा इस ताल के विकास के लिए कागजी कार्रवाई हुई लेकिन अफसरों की शिथिलता के चलते योजना को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। बतां दें कि स्थानीय विकास खंड क्षेत्र के मोंगरी ताल में खेती तो किसी तरह किसान कर रहे हैं लेकिन खेती करने के लिए किसानों को सिंचाई का कोई इंतजाम नहीं है। जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। इस संबध में एसडीएम सिराथू विनय कुमार गुप्ता का कहना है कि इस ताल के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। जांच कराकर ताल की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।