इन्द्रपाल सिंह प्रिइन्द्र
मड़ावरा/ललितपुर। सरस्वती मंदिर इंटर कॉलेज मड़ावरा ललितपुर के शिक्षक संतोष त्रिपाठी जी(एम.एड्)(गोल्ड मेडलिस्ट- मास्टर ऑफ आर्ट- इतिहास संस्कृत पुरातत्व) का कहना है छात्र-छात्राएं समाज का आईना है यही आगे चलकर युवा भारत के निर्माण में पूर्णता सहभागी बनकर अपने देश को विश्व गुरु बनाने में योगदान करेंगे।
आज के युवा पीढ़ी जिस तरह से डिजिटलीकरण उपयोग कर रही है उससे उनका मानसिक स्तर बढ़ने के साथ-साथ आधुनिकता की तरफ बढ़ रहे हैं। लेकिन छात्र-छात्राएं डिजिटलीकरण के दुरुपयोग से भी बच कर निकल नहीं पा रहे हैं उनमें लगातार सोचने समझने की क्षमता कम होती जा रही है सही गलत का निर्णय लेने में अक्षम्य बनते जा रहे हैं, यह अति आवश्यक है कि वह बाहर निकल कर अपने भविष्य को संवारने में सही दिशा मे आगे बढ़े , शिक्षक के साथ-साथ अभिभावक भी उन्हें इन के दुरुपयोग से बचाने में अपना संपूर्ण योगदान दें आज का अभिभावक इतना व्यस्त हो चुका है कि वह अपने बच्चों पर पूर्ण रूप से ध्यान नहीं दे पा रहा कि वह स्कूल गया की नहीं गया वह दिन भर किस कार्य को किया या नहीं किया। अभिभावकों द्वारा छात्र-छात्राओं के ऊपर बचपन की अवस्था से ही इतना बोल दे दिया जाता है कि बच्चा सुबह उठा कोचिंग गया स्कूल गया स्कूल से आया डांस क्लास गया कोचिंग गया घर आया खाना खाया सो गया सुबह फिर वही कार्य इस तरह से प्रत्येक दिन की दिनचर्या बच्चे के जीवन में भर दी जाती है जिससे बच्चा जल्द ही पढ़ाई के बोझ तले दबता चला जाता हैं वह पढ़ाई लिखाई की शिक्षा से दूर होकर अन्य तरफ अपना मन लगा लेता है, बचपन की अवस्था से कम से कम 16 वर्ष तक के बच्चों को घर के कार्यों से दूर रख कर और स्कूली शिक्षा पर उनके ध्यान देकर अन्य कार्यों से मुक्त कर उनके मन को उनकी बुद्धि को बढ़ने दे, जब उन्हें नित्य प्रतिदिन कुछ सोचने और समझने का समय दिया जाएगा धीरे-धीरे उन्हें सोचने और समझने की क्षमता का विकास होगा जो उन छात्र-छात्राओं के लिए अच्छा होगा बच्चों को अभिभावक इस तरह से रखें कि जैसे एक पतंग होती है वो उड़ती चली जाती है और उड़ाने वाला बस यह देखता है वह कहीं कट ना जाये, इसी तरह से अभिभावक भी बच्चों पर उनके दैनिक कार्यों पर पूर्णतः नजर रखें उन्हें बंधन में ना बांधे, उनकी बुद्धि और सोचने समझने की शक्ति में विकास होने दें। जिससे देश का प्रत्येक बच्चा आगे चलकर देश के निर्माण में सच्चा आईना बन सके।