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ललितपुर में फल-फूल रहा जड़ी बूटी का काला कारोबार

Saturday, December 10, 2022

/ by Today Warta



सस्ते में खरीदकर ऊँचे दामों पर बाहरी जिलों में भेजी जा रही जड़ी-बूटी

सहरियाओं का कैसे होगा उत्थान

ललितपुर। जिले में अकूत प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ जीवन प्रदान करने वाली जड़ी-बूटियों का भण्डार भरा पड़ा है। इस भण्डार के जरिए ही सुदूर ग्रामीण अंचलों के जंगली क्षेत्रों में में निवास करने वाले सहरिया समुदाय के लोग जीवन यापन कर रहे हैं। जीवन प्रदान करने वाली जड़ी-बूटियों को एकत्र कर बेचने के बावजूद आज तक सहरिया समुदाय के लोग विकास की मुख्य धारा से नहीं जुड़ सके हैं। जबकि सस्ते में जड़ीबूटी खरीदकर ऊँचे दामों पर बेचने वाले मालामाल हो गये। प्रकृति से मनुष्य की सेहत संवारने जंगली क्षेत्रों से मिलने वाले इस बेशकीमती खजाने की परख न होने के कारण सहरिया समुदाय आज भी घास की रोटियां खाकर जीवन यापन कर रहे हैं। गौरतलब है कि ललितपुर जिला मध्य प्रदेश की सीमाओं से घिरा हुआ बुन्देलखण्ड का सबसे पिछड़ा जनपद का गौरव हांसिल किये हुये है। इस जनपद में विकास के नाम पर यदि बड़े उद्योगों की बात करें तो सूबे का सबसे बड़ा पावर प्रोजेक्ट जिले में लगाया गया है। बावजूद तो वहीं कई उद्योग और लगने के आसार भी बढ़ गये हैं। तो वहीं सीमावर्ती ग्रामीण अंचलों में लखन्जर पापड़ा जैसे दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में प्राकृतिक सौंदर्यता अकूत है। यहां कई वर्षों पुराने पेड़-पौधों से जीवन प्रदान करने वाली जड़ी बूटियां मिलती हैं। बेशकीमती इन जड़ी बूटियों को बीन कर सहरिया समुदाय के लोग यहां घास की रोटियां खाकर अपना जीवन यापन करते हैं। व्यापक पैमाने पर जड़ी बूटियां एकत्र कर मुख्यालय स्थित कुछ दुकानों पर व्यापारियों के मनमाने दामों पर बेचा जा रहा है। नाम मात्र के दामों में जड़ी बूटियों को खरीद कर ऊँचे दामों पर उक्त व्यापारी बाहरी जनपदों में इसका व्यापक धड़ल्ले से कर रहे हैं। जिससे सहरिया समुदाय का विकास रूका हुआ है तो वहीं आय के और साधन भी नहीं बन पा रहे हैं।

इन ग्रामीण अंचलों से आतीं हैं बहुमूल्य जड़ीबूटियां

जड़ी-बूटियों के लिए प्रसिद्ध ललितपुर जनपद के ग्राम डोंगरा, पटना, पारौल, गौना, बालाबेहट, महोली, मड़ावरा, मदनपुर, सौंरई इत्यादि क्षेत्रों से सहरिया समुदाय के लोग व्यापक पैमाने पर जड़ीबूटियां मुख्यालय लाते हैं। मुख्यालय पर कुछेक दुकानदार अपने मनमाने दामों पर जड़ी बूटियों को खरीद कर ऊँचे दामों पर बाहरी जिलों के व्यापारियों को बेच देते हैं।

जड़ी-बूटी की आवक का नहीं है कोई हिसाब किताब

जड़ी-बूटी का ललितपुर जिले में कितना उत्पादन है, कितनी आपूर्ति है और कितने दामों पर आती है कितने में बेची जा रही है। इसकी जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को नहीं हैं। सूत्र बताते हैं कि आजादी के बाद से बेशकीमती जड़ी बूटी की आवक का हिसाब-किताब ही नहीं है। ऐसे में फुटकर व्यापारी विभागीय अधिकारियों की सांठगांठ के चलते चंद रुपयों की जड़ी बूटियों को खरीदकर लाखों के बारे-न्यारे कर रहे हैं।

इन शहरों में सर्वाधिक बेची जा रही जड़ी बूटी

जड़ी-बूटी की आवक व विक्रय को लेकर जब एक व्यापारी से जानकारी की गयी तो उसका स्पष्ट कहना था कि आवक का पता नहीं होता है। प्रतिदिन कुछ लोग जड़ी बूटियां बेच जाते हैं। जिन्हें वह खरीदकर दिल्ली, इन्दौर, बॉम्बे, झांसी, ग्वालियर, भोपाल जैसे महानगरों में बेच देते हैं।

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