राकेश केशरी
कौशाम्बी। विकास खण्ड मूरतगंज क्षेत्र में महिला एवं बाल विकास परियोजना की स्थिति दयनीय बनी हुई है। गरीब बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए शासन से हर माह पोषाहार ब्लाक में भेजा जाता है, लेकिन वितरण न हो पाने से इसका लाभ मासूमों को नहीं मिल पाता। इससे ग्रामीणों में भारी असंतोष है। जानकारी के अनुसार उक्त ब्लाक क्षेत्र में आंगनबाड़ी के लगभग 300 से अधिक केन्द्र स्थापित किये गये है। प्रत्येक केन्द्र पर औसतन चार से पांच बोरा पोषाहार हर माह वितरण के लिए आता है, लेकिन गरीबों के बच्चों तक नहीं पहुंच पाता। हर्रायपुर ग्राम की दलित बस्ती निवासी रामनरेश,पूनम,संन्तोष, हरीलाल, पितम्बर,शिवबदन आदि ने बताया कि उनके यहां कभी पोषाहार का वितरण किया ही नहीं गया। बच्चे इस बारे में कुछ जानते भी नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि पोषाहार न बांटने की शिकायत कई बार सीडीपीओ से की गयी, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। बच्चों का पोषाहार दुकानदारों के यहां पशु चारा के रूप में बिकता है। खबर के मुताबिक कमोवेश यही स्थिति ग्राम सैय्यद सरावा,बड़ेगाव,पल्हाना,शोभना,बसेड़ी आदि गांवों में भी है। जानकारों की मानें तो पोषाहार का वितरण न कराये जाने से विशेषकर निर्धन परिवारों के बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे है। नब्बे फीसदी बच्चों में रक्तअल्पता की शिकायत आम समस्या हो गयी है। इस संबंध में पूछे जाने पर सीडीपीओ मूरतगंज ने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषाहार नियमित भेजा जाता है, लेकिन उसका वितरण नहीं होता है, इस बारे में उन्हे जानकारी नहीं है, फिर भी केन्द्रों की जांच की जायेगी तथा जहां भी पोषाहार वितरण में गड़बड़ी मिली, संबंधित कार्यकत्री के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।
पशुओं को पुष्टाहार,बच्चे रहें निराहार!
बच्चों में कुपोषण लगातार बढ़ रहा है। इससे याददाश्त में कमी और अन्य तमाम बीमारियां घर कर रही हैं। यूनीसेफ व केन्द्र सरकार तो चिंतित है लेकिन उन लोगों को कतई चिंता नहीं जो बच्चों के मिलने वाले पौष्टिक आहार से पशुओं के पुष्ट कर रहे हैं। क्षेत्र के आंगनबाड़ी केन्द्र से जुड़े लोग इसे बेचकर कमाई कर रहे हैं। यूनीसेफ दुनिया भर में बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए अभियान चला रही है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन व बाल विकास विभाग के माध्यम से देश में अभियान चल रहा है। आंगनबाडियों में बच्चों के लिए पौष्टिक आहार व पूरक आहार भेजा जाता है मगर यह बच्चों को मिल नहीं पाता। यही कारण है कि बच्चे लगातार कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। इस संबध मे डा0 ओपी गुप्ता का कहना है कि बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए पहले 6 माह तक मां का दूध, बिना पानी मिला दूध, दलिया, फल मसलकर दें। पानी गर्म कर पिलाएं। प्रोटीन से भरपूर पोषक दें। समय.समय पर विटामिन ए का घोल दें। वही जिला कार्यक्रम अधिकारी का कहना है कि आंगनबाड़ी में बच्चों को पूरक पोषाहार समय पर मिले, इसके लिए प्रयास किया जा रहा हैं। और सुपरवाइजरो को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पैनी नजर रखने के निर्देश दिए हैं।