राकेश केशरी
कौशाम्बी। जिला अस्पताल में तैनात चिकित्सक काम के प्रति घोर लापरवाही बरत रहे हैं। चिकित्सक ओपीडी में थोड़ी देर बैठने के बाद घूमने निकल जाते हैं। इससे मरीजों को भटकना पड़ रहा है। काफी देर इंतजार करने के बाद मरीज बिना दवा लिए ही लौट जाते हैं। चिकित्सकों की लापरवाही नई नहीं बल्कि उनकी आदत में शुमार हो गई है। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। सरकारी अस्पताल में रोजाना सुबह आठ से दो बजे तक ओपीडी का समय निर्धारित है। सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि अस्पताल में आने वाले मरीजों को चिकित्सक देखें और उन्हें दवा उपलब्ध कराई जाए। स्वास्थ्य विभाग व जिला स्तरीय अधिकारी भी इस संबंध में दिशा निर्देश देते रहते हैं लेकिन कौशाम्बी के सरकारी अस्पताल में तैनात चिकित्सक इस निर्देश की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। एक तो चिकित्सक समय से अस्पताल पहुंचते नहीं। देर से आते भी तो कुछ देर बैठकर घूमने निकल जाते हैं। ऐसे में मरीज परेशान रहते हैं। बुधवार को अस्पताल का हाल जाना गया तो एक बार फिर चिकित्सकों के काम की पोल खुल गई। 11.40 बजे कक्ष संख्या एक व तीन से चिकित्सक गायब थे। कक्ष के बाहर मरीजों की भीड़ लगी हुई थी। परेशान मरीज चिकित्सक के बैठने का इंतजार कर रहे थे। पूछने पर मरीज कहते हैं कि करीब आधा घंटे से दोनों कक्षों से चिकित्सक गायब हैं और हम भटक रहे हैं। ऐसी व्यवस्था का क्या फायदा जहां मरीजों को देखने वाले चिकित्सक ही गायब हो जाएं। इसी तरह 11.45 बजे कक्ष संख्या सात में भी कोई चिकित्सक नहीं था। कक्ष में केवल महिला मरीज ही बैठकर चिकित्सक का इंतजार कर रही थीं। वहीं कुछ मरीज बाहर भी बैठे हुए थे। फिलहाल, चिकित्सकों ने ओपीडी से गायब रहने की आदत सी बना ली है। जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा और वह अस्पताल में इधर-उधर भटकते रहते हैं।
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गायब चिकित्सकों पर नहीं होती कोई कार्रवाई
सरकारी अस्पताल की ओपीडी से गायब रहना चिकित्सकों के लिए नई बात नहीं बल्कि यह उनकी आदत में शुमार हो गया है। पूर्व में कई बार चिकित्सक गायब रहे और मरीजों को परेशानी हुई। मरीजों ने अस्पताल प्रशासन से शिकायत की लेकिन चिकित्सकों पर कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाई गई। अस्पताल प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने के कारण ही चिकित्सक अपने ढर्रे को नहीं बदल रहे और मनमर्जी कभी भी ओपीडी से गायब हो जा रहे हैं। अब देखना यह है कि ओपीडी से गायब रहने वाले चिकित्सकों के खिलाफ अस्पताल प्रशासन या जिला स्तरीय अधिकारी कोई कार्रवाई करते हैं या नहीं।