राकेश केशरी
कौशाम्बी। अगर आपके बगल से तिरपाल से ढके ट्रक गुजर जाये तो, यह मत समझिए कि किराना का सामान लदा होगा। आलाधिकारियों को धोखा देने के लिए जिम्मेदारों की सलाह पर माफिया की यह पकड़ से बचने की तरकीब है। जिले में यमुना नदी की कोख खाली कर निकाली जाने वाली बालू घाट पर ही ओवरलोड भरी जाती है। कतार में लगे ट्रकों के ऊपर तक लादने के बाद तिरपाल से ढक दिया जाता है, जिससे जिम्मेदार जवाबदेही से बच सकें। जिले की सड़कें हों या फिर हाईवें सब ऐसे ही वाहन ध्वस्त कर चुके हैं। खनन घाटों पर दिखावे के लिए सीसीटीवी कैमरे और धर्मकांटा नजर आता है। थैली के वजन ने खनिज और परिवहन विभाग की आंखों पर पट्टी बांध रखी है और मुंह पर ताला। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तेवर ने अब अधिकारियों के रात की नींद जरूर उड़ा दी है। जिले में बालू का खेल चरम पर है। अवैध हो या फिर पट्टाधारक की कारगुजारी, विभागीय सेटिग से सारे नियम-कायदे ठेंगे पर हैं। कहने को घाटों पर सीसीटीवी कैमरे और धर्मकांटा लगाए गए हैं। कहीं रिकार्डिंग नहीं होती तो,अधिकतर शोपीस से ज्यादा नहीं हैं। धर्मकाटा से होकर गाड़ियां गुजरती ही नहीं हैं। ऐसा नहीं कि पूरे खेल से खनिज विभाग के अधिकारी वाकिफ नहीं हैं।
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बालू की लूट में चांदी की चाहत
खनिज विभाग हो या परिवहन विभाग का अमला, बालू की लूट में चांदी की चाहत ने कदम उठाने से रोक दिया है। ध्वस्त सड़कें ओवरलोडिग की गवाही देती हैं। यमुना नदी के आसपास बसे गांवों का हाल और बुरा है। भारी वाहन डामर कब खा गए, अधिकारी जान ही नहीं सके और बाशिदे नरक से बुरे हालात में गुजरने को मजबूर हैं। सेटिग का ही कमाल है कि घाटों पर ही ओवरलोडिग चरम पर है।
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शासन की जांच में खुली कलई,फिर सब पुराने ढर्रे पर
ऐसा नहीं है कि शासन स्तर तक मौरंग का खेल नहीं पहुंच चुका है। शिकायतें पहुंचती हैं और जांच भी होती है। दो-चार दिन बाद ही सब पुराने ढर्रे पर लौट आता है। बीते वर्ष खनिज निदेशक डॉ0 रोशन जैकब के निर्देश पर जिले में टीम जांच के लिये पहुंची थीं। आधी रात तक कोखराज हाइवें पर जांच की। ओवरलोड वाहनों की कतार मिली थी। अवैध खनन अपनी आंखों से देखा और प्राथमिकी तक के निर्देश दिए थे। उस समय उन्होंने कुछ प्रमुख मार्गों का उल्लेख करते हुए कैमरे लगवाने के आदेश भी दिए थे। कागजी प्रक्रिया जरूर हुई, पर ओवरलोडिग नहीं रोकी जा सकी। पूर्व जिलाधिकारी भी टीम के साथ कई बार घाटों की जांच को पहुंचे, नियमों की धज्जियां उड़ते देखीं, और कई ओवरलोड वाहन सीज किए थे।
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खाकी के साथ खादी का गठजोड़
नियमों को ताक पर रखे जाने की जड़ बहुत गहरी हैं। अवैध खनन के साथ ओवरलोडिग लाखों की कमाई का जरिया है। केवल जिले में ही नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश से भी बड़ी संख्या में वाहन जिले से ही निकलते हैं। पूरे खेल के पीछे खाकी और खादी का गठजोड़ भी बताया जाता है। कौशाम्बी का महेवाघाट थाना ऐसा इलाका हैं, जहां से ऐसे वाहन निकलते हैं। अंदरखाने के सूत्र बताते हैं कि जिले से रोज हजार के करीब ट्रक गुजरते हैं। इनके गुजरने की खास वजह इंट्री फीस है। पर्दे के पीछे रहने वाले बड़े नाम इनका ठेका लेते हैं। इस खेल में खाकी और खादी पर्दे के पीछे है। महेवाघाट से निकलने वाले ट्रक व डंफरों की कतार तभी निकल सकती है, जब इनकी कृपा हो। इस खेल में मलाई स्थानीय पुलिस चाटती है।

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