राकेश केशरी
कौशाम्बी। किसी बड़े के पीछे और छोटे के आगे हो जाने पर कहावत कही जाती है, गुरु गुड़ रह गए, चेला शक्कर हो गया..। हालांकि इस बार गुड़ का बढ़ा भाव इस कहावत का अलग ही निहितार्थ निकाल रहा है। कहने का तरीका भी बदल गया है। इस वर्ष गुड़ का भाव शक्कर से औसतन पांच रुपये प्रति किलो अधिक है। ऐसे में लोग कहने लगे हैं कि गुरु तो गुड़ ही है। आमतौर पर बाजार में चीनी की कीमत गुड़ से ज्यादा रहती थी। हालांकि शहरी क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे मधुमेह (डायबिटीज) रोगी अब चीनी की अपेक्षा गुड़ को तरजीह देने लगे हैं। ऐसे में शहरी क्षेत्र में अचानक से गुड़ की मांग बढ़ी है। इसे देखते हुए लघु कुटीर उद्योग के रूप में गुड़ का उत्पादन करने वालों ने भी कीमतें बढ़ा दी हैं।