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दोआबा में 3.786 हेक्टेयर भूमि बंजर, वन विभाग को लक्ष्य का इंतजार

Monday, January 16, 2023

/ by Today Warta



राकेश केशरी

बांस की खेती कर भूमि उपजाऊ बनाने के साथ ही माली हालत सुधार सकते हैं किसान

जीवन के साथ और जीवन के बाद भी मानव के काम आता है बांस

कौशाम्बी। दोआबा में 3.786 हेक्टेयर भूमि बंजर है। सरकारी स्तर पर इसे उपजाऊ बनाने के लिए फिलहाल कोई कवायद नहीं की जा रही है। वन विभाग के अफसर फिलहाल योजना के लक्ष्य का इंतजार कर रहे हैं। वहीं कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि मामूली प्रयास से बंजर को उपजाऊ भूमि में तब्दील किया जा सकता है। बस इसके लिए किसानों को बांस की खेती करने की जरूरत है। जिले में भी बांस की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमाने के साथ ही बंजर को उपजाऊ बना सकते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र महगांव के वैज्ञानिक डॉ0 मनोज कुमार सिंह का कहना है कि बांस की रोपाई किसान जुलाई-अगस्त में कर सकते हैं। एक एकड़ की खेती में सिर्फ 15 से 20 हजार रुपए की लागत आएगी। पांच वर्ष में इस लागत के सापेक्ष लगभग दो से ढाई लाख रुपये का मुनाफा कमाया जा सकता है। बताया कि मानव जीवन में बांस की काफी उपयोगिता है। जीवन काल में मानव के लिए अगर शैय्या के काम आती है तो मरणोपरांत टिप्टी में तब्दील होकर कब्र तक भी जाता है। इसकी धार्मिक मान्याताएं भी कम नहीं है। मंडप गाड़ने में बांस की पत्ती शुभ मानी गई है। इसके अलावा बांस से लाठियां व टोकरी बनाकर किसान सुगमतापूर्वक जीवन यापन कर रहे हैं। बांस से निर्मित छप्परनुमा घरों में एक आम आदमी की जिंदगी कट रही है। इस वजह से इसके लिए कहीं बाजार खोजने की भी आवश्यकता नहीं है।

खाद-पानी की भी जरूरत नहीं

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि यह पौधा खाद अपनी पत्तियों से बनाता है। ऐसे में पौधों को अलग से खाद-पानी देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि इसका उपयोग सौंदर्य प्रशाधन, बड़े-बड़े होटलों में फर्नीचर तथा टिंबर मर्चेंट से लेकर सांस्कृतिक कार्यों तक में उपयोग होता है। यह औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है।

दो माह में पूरा विकास कर लेता है बांस

कृषि वैज्ञानिक डॉ0 मनोज कुमार सिंह ने बताया कि बांस के पौधे अन्य फसलों की तरह नहीं होते हैं। इसके पुंजों से जो भूमिगत तना निकलता है, वह बड़ी तेजी से बढ़ता है। किसी-किसी किस्म की बढ़वार एक दिन में एक मीटर तक हो जाती है। यह महज दो माह में अपना विकास पूरा कर लेता है। अच्छी बढ़वार के लिए बारिश में इसके पुंजों के बगल में मिट्टी चढ़ाकर जड़ो को ढक देना चाहिए।

उपयोग पर निर्भर है बांस की कटाई

बांस की कटाई उसके होने वाले उपयोग पर निर्भर है। अगर बांस की टोकरी बनानी है तो वह तीन से चार वर्ष पुरानी फसल हो। अगर मजबूती के लिए बांस की जरूरत है तो छह वर्ष की फसल अधिक उपयुक्त होती है। इसकी कटाई का सही समय अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से दिसंबर माह तक का होता है। गर्मी के मौसम में बांस की कटाई नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इससे जड़े सूख सकती है।

बोले डीएफओ

डीएफओ आर एस यादव ने बताया कि बंजर का उपजाऊ भूमि में परिवर्तित करने के लिए वन विभाग की ओर से बंबू मिशन योजना चालू की गई है। लेकिन अभी तक जिले में योजना के तहत कोई लक्ष्य नहीं प्राप्त हुआ है। अक्तूबर माह तक शासन की ओर से लक्ष्य निर्धारित किए जाने की संभावना है।

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