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फास्ट फूड व चॉकलेट से बढ़ रहे दंत रोगी-डा0 प्रवीण केशरवानी

Sunday, January 22, 2023

/ by Today Warta



राकेश केशरी

कौशाम्बी। दांत की बीमारियों की शिकायतें बढ़ रही हैं। टीन एजर्स सहित बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। अकेले जिला अस्पताल में ही हर रोज करीब पचीस से तीस पीडित पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि यह फास्ट फूड व चाकलेट खाने का नतीजा है, खूबसूरत मुस्कान। लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने का सबसे नायाब तरीका है। जाहिर है उसके लिए दांतों का सफेद और चमकीला होना जरूरी है,जबकि खान.पान की गड़बड़ी के अलावा अन्य बहुत सी समस्याओं के चलते दंत संबंधी परेशानियां सामने आ रही हैं। खास कर बच्चों में दांत की बीमारियों का मुख्य कारण फ ास्ट फू ड बनता जा रहा है। नतीजा दांतों में पीलापन,रूट कैनाल,टेढ़ापन,जबड़ों की विकृति,फीनिंग आदि बीमारियां घर कर रही है। यही वजह है कि दांतों का बदरंग हो जाना आम बात हो गई है। इस फैशन के दौर में पहनावे व रहन.सहन के साथ दांतों को सफेद और चमकीला बनाने में लोगों खासकर महिलाए युवतियों में जागरूकता बढ़ रही है,जिसके चलते अधिकतर युवा,युवती अच्छी तादाद में डेंटिस्ट के यहां दातों की सफाई के लिए आ रहे हैं।

चमक से ज्यादा दातो की सफाई है जरूरी

कौशाम्बी। सिराथू कस्बें के चिकित्सक डा0 प्रवीण कुमार केशरवानी कहते हैं कि लोगों के अंदर दांतों को सफेद और चमकीला बनाने का क्रेज बढ़ा है। सुंदर दिखने की चाह में सभी आ रहे हैं। हालांकि ब्लीचिंग काफी महंगी पड़ रही है इसलिए दांतों पर पॉलिश कराने वालों की संख्या ज्यादा है। छोटे हों या बड़े सबके दातों के रंग अलग होते हैं। जानकारी दी कि दांतो की चमक से ज्यादा सफाई जरूरी है। कहते हैं कि दांत सफाई डेंटिस्ट्री की बैक बोन है। ये रीढ़ की हड्डी की तरह काम करती है। अगर इनकी सफाई वर्ष में एक बार ढंग से की जाए तो 80 प्रतिशत दांतों की बीमारियां दूर रहेंगी। नसीहत दी कि जब भी खाना खाएं तो उसके आधे घंटे के अंदर ही दांतों की सफाई जरूरी है तथा उसके बाद करने का कोई फायदा नहीं है। जानकारी दी कि दांतों की सफाई दो प्रकार से होती है। पहला केमिकली व दूसरा मैनुअली। मैनुअली स्केलिंग से दांत की सफाई होती है,जिससे दांतों पर जमी गंदगी दूर हो जाती है,जबकि केमिकली ब्लीचिंग कराकर दांतों को सफेद और चमकीला बनाया जा सकता है। जबकि मधुमेह के मरीजों के लिए अपने दांतों का ख्याल रखना जरूरी है,क्योंकि उन्हे पीरियोडेटल बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। वही कमजोर दांतों को विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से पीडित होने का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा कम डीजीज और अर्थराइटिस के बीच भी गहरा संबंध होता है। जबकि पाचन प्रक्रिया मुंह में कई केमिकल्स की प्रतिक्रियाओं के साथ शुरू होती है। भोजन करने के दौरान व्यक्ति दांतों से भोजन चबाता है, ताकि आंतों में वह ठीक तरह से पच सके। ऐसे में दांत सही न रहने से आंत भी ठीक से भोजन पचाने में असमर्थ होंगे। तब पाचन तंत्र से भी संबंधित रोग हो सकते है। व्यक्ति के मसूढ़ों में सूजन या रक्त निकलने की समस्या होती है। उनकी मेमोरी,परफारमेंस कमजोर हो सकती है। वही व्यक्ति की मुस्कान ऐसी पहली अभिव्यक्ति होती है,जिसे दूसरे लोग सबसे पहले नोटिस करते है। ऐसे में यदि दांत स्वस्थ नहीं रहेगे तो स्वाभाविक बात है कि व्यक्ति के आत्म विश्वास में कमी आयेगी। जबकि स्वस्थ और साफ दांत न सिर्फ मसूढ़ों से जुड़ी बीमारियों से बचाते है,बल्कि निमोनिया होने की आशंका को काफी हद तक कम कर देते है। सीने में होने वाले संक्रमण के लिए गले और मुंह से पहुंचने वाले बैक्टीरिया जिम्मेदार होते है। वह किसी तरह फेफड़े तक पहुंच जाते है और वहां संक्रमण फैलाने का काम करते है। खास कर सर्दी के मौसम में इनके होने का खतरा अधिक रहता है।


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