राकेश केशरी
कौशाम्बी। सर्दी का मौसम जहां एक ओर अनेक प्रकार की खुशियां लेकर आता है, वहीं यह मौसम अनेक प्रकार की बीमारियों का जनक भी कहा जाता है। इस सीजन में लोगों को अनेक प्रकार की सावधानियां बरतने की जरूरत है। खास कर दमा व अस्थमा के मरीजों के लिए जरा सी लापरवाही जानलेवा बीमारी का कारण बन सकता है। इस मौसम में वायरल बुखार की मार से आम लोग परेशान तो रहते ही हैं साथ ही अस्थमा भी बहुत हानिकारक माना जाता है। 80 फीसद मरीज वायरल की चपेट में चल रहे हैं। वहीं 20 फीसद मरीज अस्थमा की चपेट में हैं। बीमारी से बचने के लिए अपने निवास के आसपास सफाई रखनी होगी तथा धूल व धुआं से बचना चाहिए।
वायरल बुखार के कारण
वायरल बुखार व अस्थमा मौसम की देन है। इस समय मौसम में होने वाला परिवर्तन दिन में गर्मी तथा रात में ठंडक बीमारी का कारण बन जाता है। भीड़ में रहने तथा ठंड से बचना चाहिए। यह बुखार भी एक प्रकार का वायरल इंफेक्शन है। ठंड में अस्थमा की व बीमारी उभर जाती है। शरीर ढक कर न सोना भी बीमारी का कारण बन जाता है। वायरल की शिकायत होने पर मनुष्य के शरीर में रक्त की कमी हो जाना सबसे अधिक चिंता का विषय होता है। इसके चलते ही शरीर में कमजोरी, सिर दर्द तथा चक्कर आना, भूख न लगना, इसके प्रमुख लक्षण कहे जाते हैं। सर्दी के साथ तेज बुखार आ जाता है। अस्थमा की शिकायत होने पर मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है। आंखों में दर्द, उल्टी, जोड़ों में दर्द से भी बीमारी की पहचान की जा सकती है।
बीमारी का उपचार
वायरल बुखार की शिकायत होने पर मरीज को पर्याप्त रेस्ट करना चाहिए। झोला छाप से बचना चाहिए, कुशल चिकित्सक की सलाह पर इलाज कराना चाहिए। मरीज को दवा के साथ सुरक्षित कमरे में रखना चाहिए। गंभीर हालत में मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है। नियमित पेरासिटामोल का सेवन करने से बुखार में आराम मिल जाता है। मरीज को घबराना नहीं चाहिए। सर्दी से बचाव ही बीमारी का उपचार है।