राजीव कुमार जैन रानू
ललितपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने शीतलहर/पाला से बचाव के उपाय के बारे में बताया है कि शीतलहर से पहले टी.वी., रेडियो, समाचार पत्र, सोशल मीडिया आदि पर मौसम के बारे में मौसम विभाग द्वारा जारी की जाने वाली चेतावनियों के प्रति सजग रहें। सर्दियों के आने से पहले गर्म कपड़े एवं एक अधिक सतहों वाले कपड़े की व्यस्था उचित मात्रा में करके रखें। आकस्मिक समय में काम आने वाली बस्तुओं की व्यस्था पहले से करके रखें। ठण्ड के मौसम में विभिन्न तरह की बीमारियां जैसे- सर्दी, खांसी, बुखार, फ्लू, एलर्जी, अस्थमा आदि ठण्डे मौसम के लगातार बने रहने से उक्त बीमारियों का प्रकोप बढ़ सकता है। अत: ऐसी स्थिति मे तुरन्त चिकित्सक से सम्पर्क करते हुये यथोचित उपचार करायें।
शीतलहर के दौरान
मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट सबंधी सूचनाओं को नियमित तौर से देखते रहे एवं अलर्ट के दौरान जारी की जाने वाली एडवायजरी में जारी किये जाने वाले नियमों का पालन करें। यथासंभव घर पर रहे एवं यात्रा कम से कम करें। अपने आप को सूखा रखें एवं एक से अधिक सतहों वाले ऊनी कपड़े से शरीर व शरीर के अन्य भाग जैसे- सर, गला, हाथ एवं पैर को ढक कर रखें। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता एवं शरीर के तापमान को सामान्य बनाये रखने हेतु स्वास्थ्य वर्धक खाना जैसे- फल, सब्जियां एवं प्रचुर विटामिन सी की मात्रा वाले खाद्य सामग्री का सेवन करें। गर्म पेय पदार्थो का नियमित सेवन करें। घर में विशेष कर बूढे बुर्जगों एवं बच्चों का अच्छी तरह से ख्याल रखें। घर के अन्दर गर्मी बनाये रखने हेतु कोयला जैसी चीजों को न जलायें यह खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह कार्बन मोनो ऑक्साइड उत्सर्जित करता है, जो कि बहुत जहरीला होता है इससे कमरों के अन्दर रह रहे व्यक्तियों की जान भी जा सकती है। ठण्ड के मौसम में फ्रॉस्ट बाइट (हिमदाह), हाइपोथर्मियां (शरीर का तापमान गिर जाना) जिससे शरीर में कपकपी, बोलने में परेशानी, उनींदापन, मांसपेशियों में अकडऩ, सांस लेने में भारीपन होना, कमजोरी या बहोशी हो सकती है। हाइपोथर्मियां एक चिकित्सा अपातकालीन स्थिति है जिसे चिकित्सीय सहायता हेतु तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
हाईपोथर्मियां होने की स्थिति में
व्यक्ति को गरम स्थान पर लिटाये और कपडे बदलें, व्यक्ति के शरीर को त्वचा से त्वचा से सम्पर्क एवं कम्बल की सूखी परतो से गर्म करने का प्रयास करें। शरीर का तापमान बढ़ाने में मदद करने के लिए गर्म पेय का सेवन करायें। शराब का सेवन न करें। हालत बिगडऩे की स्थिति में चिकित्सक से परामर्श लें।
क्या न करें
लम्बे समय तक ठण्डे मौसम के सम्पर्क में आने से बचें। शराब का सेवन न करें, क्योंकि शराब से शरीर का तापमान घट जाता एवं रक्त की धमनियां एवं शिरायें सिकुड जाती है, जिससे विशेषकर हाथों एवं पैरों में इसका असर दिखाई देता है, जिससे हाइपोथर्मियां की होने का खतरा बढ़ जाता है। फ्रॉस्ट बाइट (हिमदाह) वाली जगह को मालीश न करें, जिससे प्रभावित अंगों को नुकशान बढ़ सकता है। ठण्ड के मौसम में अत्याधिक कपकपी को नजर अंदाज न करें, क्योंकि घर अंदर, बाहर यह पहला लक्षण है, जिससे यह संकेत मिलता है, कि शरीर का तापमान गिर रहा है। ठण्ड से प्रभावित व्यक्ति को कोई पेय पदार्थ न पिलायें जब तक की वह पूर्ण होश, सर्तक स्थिति में न हों।