इन्द्रपाल सिंह'प्रिइन्द्र
ललितपुर। कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का अयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में ग्रामीण युवतियों को प्राकृतिक रंग बनाने के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया। गृह विज्ञान विषय विशेषज्ञ डा.सरिता देवी द्वारा युवतियों को घरेलू स्तर पर प्राकृतिक रंग बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें बताया गया कि कैसे फूल पत्तियों, हरी सब्जियों एवं फलों से अलग-अलग प्रकार के रंग बनाए जा सकते हैं। (गेंदे के फूल, गुड़हल के फूल, गुलाब के फूल, पलाश के फूल, पालक, चुकंदर, हल्दी, नीम की पत्ती, मेंहदी की पत्ती, जामुन) आदि से घरेलू स्तर पर रंग बनाए जा सकते है। जो हमारी त्वचा के लिए फायदेमंद भी हैं जिससे त्वचा पर न तो कोई हानिकारक प्रभाव पड़ता है न त्वचा खराब होती है, दाने और रैशेज भी नहीं पडते हैं। ये प्राकृतिक रंग बिल्कुल नुकसान दायक नहीं होते और इन्हें बनाने में कोई खर्च नहीं आता है और प्राकृतिक रंगो को घर पर ही बनाकर महिलाऐं आय अर्जन भी कर सकती हैं होली का समय आ रहा है। महिलाएं इसे स्वयं घर पर बनाकर बेंचे और पैसे कमाऐं केमिकल युक्त रंगों की अपेक्षा ये अधिक मेंहगे होते हैं। ऐसे में होली में घर पर ही प्राकृतिक रंग बनाऐं और रंग खरीदने पर होने वाले खर्च को भी बचाऐं। इन रंगों को बनाने के लिए हमें सिर्फ प्राकृतिक फूल, पत्ती, सब्जी चाहिए तथा चावल के आटे, आरारोट का प्रयोग होता है जब हमें थोड़ा गाढ़ा रंग चाहिए होता है तब हम खाने वाले रंग का भी प्रयोग कर सकते है तथा खुसबूदार रंग बनाने के लिए केवड़ा, इत्र मिलाकर खुशबूदार रंग बना सकते हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में केन्द्र के वैज्ञानिक डा.दिनेश तिवारी, डा.एन.के. पाण्डेय एवं डा. एन.के. यादव उपस्थित रहे।