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स्वच्छ भारत मिशन फेल, कहीं अधूरे शौचालय तो कहीं लटक रहे ताले

Wednesday, February 1, 2023

/ by Today Warta




राकेश केशरी

कौशाम्बी। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना वाला स्वच्छ भारत अभियान के तहत करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी योजना का क्रियान्वयन सही ढंग से नहीं हो पा रहा है। कौशाम्बी ब्लॉक के कुल 57 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय बनाए जाने का लक्ष्य दिया गया था। सामुदायिक शौचालय के निर्माण पर प्रदेश सरकार का भी काफी जोर है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार ब्लॉक में अब तक 57 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय का निर्माण पूर्ण हो गया है। सामुदायिक शौचालय को ग्राम पंचायत के हैंड ओवर भी किया जा चुका है। सूत्रों के अनुसार जो सामुदायिक शौचालय हैंड ओवर किए गए हैं उनमें कई खामियां हैं। जैसे किसी शौचालय में बोरिंग नहीं कराई गई तो किसी शौचालय में पानी की टंकी नहीं लगी किसी शौचालय में विद्युत का कनेक्शन भी नहीं है। ऐसे में सामुदायिक शौचालय का उपयोग कैसे किया जा सकता है।

शौचालयों के रखरखाव पर भी बड़ा खर्च,

शौचालयों पर तैनात होने वाले केयरटेकर या सफाई कर्मी को ग्राम पंचायत के 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत स्वच्छता एवं सेनिटेशन मद से 6000 प्रति माह वेतन। साफ सफाई के लिए झाड़ू, ब्रश, स्पंज, कपड़े पोंछा, बाल्टी मग के लिए बारह सौ रुपए 6 माह में एक बार। निष्क्रमन सामग्री जैसे साबुन, वाशिंग पाउडर, एयर फ्रेशनर, ग्लब्स, हार्पिक, दस्ताने आदि के लिए 1000 रुपया प्रतिमाह, और अन्य खर्च के लिए 300 रुपया प्रतिमाह दिया जाएगा। यह भुगतान दो किस्तों में प्रारंभिक माह में और दूसरा 6 माह बाद स्वयं सहायता समूह के खाते में दिए जाने का प्रावधान है।

सामुदायिक शौचालय की जमीनी हकीकत

सरकारी आंकड़ों के हिसाब से सामुदायिक शौचालय की जमीनी हकीकत कुछ और है। केयरटेकर को वेतन और प्रतिमाह होने वाले अन्य खर्च देने के बाद भी ज्यादातर शौचालयों की हालत खराब है। किसी शौचालय में ताले लगे हुए हैं तो किसी शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब सामुदायिक शौचालय पूरी तरह तैयार नहीं है,तो ग्राम पंचायतों को हैंड ओवर कैसे किए गए। और केयरटेकर को मासिक वेतन और उस में होने वाले अन्य कार्य के लिए रुपये कैसे दिए जा रहे हैं। अपने आप में यह एक सवाल है।


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