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परिवाहन विभाग की दीवाल पर लिखा स्लोगन दलालों से सावधान,हास्यास्प्रद

Sunday, February 19, 2023

/ by Today Warta



राकेश केशरी

पूछताछ खिड़की बंद रहनें से लोगो की बढ़ी परेशानी

मुख्यमंत्री के निर्देश का विभाग पर नही है असर

कौशाम्बी। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कड़ाई का असर अभी भी जिलें में नही दिखाई पड रहा है। जबकि मुख्यमंत्री जी के भ्रष्ट्राचार व रिश्वतखोरी पर अंकुश लगायें जानें के कड़ाई से दिये गये निर्देश अधिकारियों पर असर पड़ता नही दिख रहा है। जबकि आम आदमी को रोजी-रोटी जुटाने के लिए क्या-क्या पापड़ बेलने पड़ते हैं, यह बताने की आवश्यकता नहीं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो जरा सी होशियारी और साठगांठ से कमाई का अच्छा साधन बना लेते हैं। इन लोगों का धंधा कभी मंदा नहीं होता। आम भाषा में इन लोगों को दलाल बोला जाता है। किसी कवि ने शायद इसीलिए कहा है छोड़छाड़ दुनिया के धंधे, कर लै काम दलाली कौ। यह दलाल किसी भी सरकारी विभाग में घूमते-फिरते मिल जाएंगे। इन्हें ढूंढने की भी जरूरत नहीं होती। बस,आपके हाथों में कुछ कागज और चेहरे पर परेशानी हो तो ये लोग खुद ही आपको टोक देंगे। ज्यादातर सरकारी विभागों में यह दलाल चोरी-छिपे काम करते हैं, लेकिन एआरटीओ कार्यालय एक मात्र ऐसा विभाग है, जहां खुलेआम दलाली का धंधा होता है। हालांकि यह धंधा पूरी तरह अवैध है, लेकिन फायदा होता देख विभागीय अफसर इन्हें हटाने के कोई प्रयास नहीं करते। एआरटीओ विभाग में कराये जाने वाले प्रत्येक कार्य की एक निर्धारित शुल्क होती है, जिसकी सूची परिसर में लगी हुई है। इधर, बाहर बैठे दलालों के पास भी एक सूची रहती है, हर काम की कीमत इसमें दर्ज है। फर्क सिर्फ इतना है कि दलालों की सूची में निर्धारित शुल्क से चार गुना कमीशन जुड़ा है। पूरा पैसा और काम की गारंटी के फामूर्ले पर दलाल चलते हैं। अंदर भी अच्छी खासी सेटिंग होती है। अकेले काम कराने पहुंच गए तो चप्पलें घिस जाएंगी, लेकिन काम नहीं होगा। दलाल के मार्फत गए तो घर बैठे सारे काम हो जाते हैं। दलालों में भी जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा रहती है, ग्राहक देखते ही सभी अपनी ओर खींचने लगते हैं। मोल-भाव किया जाता है, दूसरे से कुछ कम रुपये लेने पर सौदा पटाया जाता है। यह पूरा धंधा विभागीय अफसरों की नजर में है, लेकिन अफसर अपनी मजबूरी दिखाते हैं। सूत्रों के मुताबिक विभाग के कर्मचारी दलालों के पक्ष में हैं, क्योंकि इनसे मोटी कमाई होती है। एआरटीओ आॅफिस परिसर में लगे बोर्ड में रेट लिस्ट को देखें तो सरकारी फीस बेहद कम है। लेकिन विभाग में लगी रेट लिस्ट दिखावा मात्र है। असल सारे काम बाहर बैठे लोग ही अपनी तय कीमत पर ही करवाते हैं। अंदर पहुंचे तो कर्मचारी ही गुमराह कर देंगे,और कई बार दौड़ाएंगे। ऐसे में दलालों से काम कराना लोगों की मजबूरी बन गई है। ऐसी स्थिति में आॅफिस के बाहर दीवार पर लिखा स्लोगन दलालों से सावधान हास्यास्प्रद लगता है। आम लोगों को किसी प्रकार की कोई जानकारी न मिल सके, इसीलिए यहां पूछताछ केन्द्र भी बंद कर दिया गया है। इस संबध मे एआरटीओ प्रशासन का कहना है कि दलालों को हटाने के संबंध में कई दफा जिलाधिकारी को लिखा जा चुका है। कार्रवाई भी हुई है। लेकिन इसके बावजूद ये लोग यहां डेरा जमाये हुए हैं। वह केवल उच्चाधिकारियों को स्थिति से अवगत करा सकते हैं, ठोस कार्रवाई नहीं कर सकते।


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