राकेश केशरी
कौशाम्बी। टेसू वृक्ष एक,नाम अनेक और काम भी अनेक। टेसू को पांच नामों से जाना जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर यह वृक्ष कुटीर उद्योग के रुप में स्वरोजगार में भी सहायक है। इसकी हरी-भरी चैड़ी पत्तियों से ही दोना पत्तल बनाए जाते हैं। कुछ सालों से टेसू के वृक्ष कम होते जा रहे हैं। टेसू के स्थानीय नामों पर नजर डालें तो उसे पलाश,परास, टेसू, ढाक,छिउला नामों से जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम ब्यूटियां मोनोस्पर्मा है। इस मध्यम आकार के पर्णपाती वृक्ष में पर्याप्त औषधीय गुण पाए जाते हैं। साथ ही हुनरमंदों के लिए कुटीर उद्योग के रुप में भी उनका साथी है। इसके पत्तों से दोना-पत्तल बनाये जाते हैं। इस व्यवसाय से भी तमाम परिवारों की रोजी-रोटी जुड़ी होती है। कुछ सालों से प्लास्टिक उत्पादों के बढ़ते उपयोग के चलते दोना-पत्तल की मांग कम हुई है। एक समय था कि बिना दोना-पत्तल के बरातियों और मेहमानों का भोजन ही नहीं होता था। हालांकि अभी भी तहसील क्षेत्र मे कुछ लोगों की रोजी-रोटी पलाश के पत्तों के सहारे चल रही है।