राजीव कुमार जैन रानू
माता के लल्ला हो गया, सारी अयोध्या, सारे गिरार में हल्ला हो गया भक्ति गीत पर थिरके श्रद्धालु
कुबेर ने लुटाया अपना खजाना,जन्माभिषेक देखने उमड़े हजारों श्रद्धालु
जन्माभिषेक का निकला भव्य जुलुस
तीर्थंकर की वाणी जगत कल्याणी होती है : आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज
आचार्यश्री बोले पुण्यात्मा को ही मिलता है जन्मकल्याणक मनाने का अवसर
पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप आदित्य सपरिवार हुए सम्मिलित
ललितपुर। श्री दिगम्बर जैन आदिनाथ अतिशय क्षेत्र गिरारगिरी विकासखंड मड़ावरा में चर्या शिरोमणि , आध्यात्मिक संत आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के 27 पिच्छि धारी साधुओं के विशाल संघ सान्निध्य में ब्र. जय कुमार जी निशांत, पंडित सनत कुमार विनोद कुमार जैन के प्रतिष्ठाचार्यत्व में आयोजित श्री 1008 मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक मानस्तम्भ जिनबिम्ब प्रतिष्ठा, विश्वशान्ति महायज्ञ एवं रथोत्सव महोत्सव रविवार को जन्म कल्याणक अगाध श्रद्धा-आस्था के साथ विधि विधान पूर्वक मनाया गया।
इस अवसर पर सर्वप्रथम प्रातः6.30 बजे से
पात्र शुद्धि, अभिषेक, शांतिधारा एवं नित्य महा पूजन की गई। जैसे ही आज प्रातः प्रतिष्ठाचार्य ने प्रातः 7.24 बजे यह घोषणा की कि अयोध्यापुरी में तीर्थंकर बालक आदिकुमार का जन्म हो गया है, श्रद्धालुओं में अपार खुशी छा गयी और और भावी तीर्थंकर भगवान के जन्म की खुशियां बांटने लगे। जन्म की बधाईयां हुई इस पर सैकड़ों लोग थिरकते दिखाई दिए। माता के लल्ला हो गया, सारी अयोध्या, सारे गिरार में हल्ला हो गया भक्ति गीत पर श्रद्धालु थिरकते नजर आए।
आदिकुमार का जन्म होते ही मिठाईयां बाटी गयीं, फल बांटे गए, गगन भेदी नगाड़ो को बजाते हुए मंगल गान गाये गए। जन्म की बधाईयां हुई इस पर श्रद्धालु थिरकते दिखाई दिए। गगन भेदी नगाड़ो को बजाते हुए मंगल गान गाये गए। भगवान के जन्मोत्सव पर महोत्सव के पात्र, महोत्सव समिति के पदाधिकारी, स्वयंसेवी संगठन आदि सभी इस अवसर पर रामकुमार एण्ड पार्टी एवं मनोज शर्मा एण्ड पार्टी के भक्ति संगीत पर भक्ति नृत्य में झूम उठे। महाराजा नाभिराय के दरवार में अयोध्यानगरी के राजदरवारियों ने नृत्य कर खुशियां मनाई। कुवेर इन्द्र द्वारा तीर्थंकर बालक आदि कुमार के जन्मोत्सव पर अपने खजाने के दरवार खोल दिए और नगर की प्रजा दान दिया।
दीप प्रज्वलन व चित्र अनावरण महोत्सव गौरव अध्यक्ष अशोक ठेकेदार ललितपुर, संतोष घड़ी सागर, जयकुमार जैन सागर ने किया।इसके बाद आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन आलोक जैन बरायठा और शास्त्र भेंट शादीलाल जैन एडवोकेट ललितपुर आदि समाज श्रेष्ठियों द्वारा किया गया। भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य झांसी सपरिवार महोत्सव में शामिल हुए। आचार्यश्री का आशीर्वाद लिया। महोत्सव समिति ने स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी ने अपने मंगल प्रवचनों में धर्म रसायन की चर्चा करते हुए कहा कि संसार के सारे रसायन जब समाप्त हो जाते हैं तब धर्म रसायन काम आता है। आत्मा को रसायन देने वाला जैनधर्म है। उन्होंने कहा कि भेद विज्ञान की छैनी परमात्मा के पास होती है। तीर्थंकर की वाणी जगत कल्याणी होती है। परिभाषा में धर्म खोजो, व्यक्ति में धर्म मत खोजो। तीर्थंकर ऋषभदेव के जन्म से तीनों लोक में आनंद और सुख छा जाता है। जिनेंद्र भगवान का जन्म कल्याणक मनाने का अवसर पुण्यात्मा को ही मिलता है, आज यहाँ बैठे सभी पुण्यात्मा जीव हैं। आज सभी को जन्म कल्याणक पर उन जैसा बनने का संकल्प लें। जैसे ही आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं से आवाह्न किया कि जहाँ शाकाहारी-मांसाहारी लिखा हो ऐसे स्थान पर भोजन न करने का संकल्प लें। उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं ने दोनों हाथ उठाकर संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि कुल की परंपरा और संस्कारों को न भूलें।
दोपहर में आदिकुमार का विशाल जन्माभिषेक जुलुस निकाला गया।प्रथम कलश से अभिषेक करने का अवसर रविन्द्र जैन बरायठा वाले सागर को प्राप्त हुआ।दोपहर में जन्मकल्याणक भव्य जुलूस निकाला गया जो मंदिर प्रांगण से इंद्रा चौराहा होते हुए अभिषेक स्थल पहुँचा। जुलूस में सबसे आगे ज्योति, प्रशांत शिल्पी पूना परिवार हाथी पर सवार होकर धर्मध्वजा फहराते हुए चल रहे थे इसके बाद द सौधर्मेन्द्र चल रहे थे , इनके पीछे जुलूस में कुबेर अपना खजाना लुटाते हुए चल रहा था। इनके पीछे महोत्सव के सभी पात्र चल रहे थे। जूलूस में हाथी , घोड़े और बग्गियां क्रमशः चल रही थीं। जुलूस को व्यवस्थित करने में पुलिस प्रशासन जुटा रहा। स्वयंसेवी संगठन वाद्य यंत्र बजाते हुए चल रहे थे। युवा वर्ग भक्ति नृत्य कर रहे थे। भगवान के जन्म की खुशी में मिठाई बांटी जा रही थी। पांडुक शिला पर हुए जन्म अभिषेक को देखने श्रद्धालुओं का भारी जनसैलाव उमड़ पड़ा। बालक आदिकुमार को लेकर सौधर्म इंद्र ने पांडुक शिला पर ले जाकर अभिषेक कराया। जन्मकल्याणक के अंतर्गत इंद्रसभा एवं राज दरबार, इंद्राणी द्वारा बालक आदिकुमार का प्रथम दर्शन एवं इंद्र द्वारा सहस्र नेत्रों द्वारा दर्शन के सुंदर मनोरम प्रेरणादायी दृश्यों का मंचन पंचकल्याणक के पात्रों द्वारा किया गया जिसे देख दर्शक भाव-विभोर हो गए। तांडव नृत्य देख दर्शक ताली बजाने के लिए मजबूर हो गए। संगीतमय महा आरती का सौभाग्य जिनेन्द्र सराफ ललितपुर परिवार ने प्राप्त किया। बालक आदिकुमार का पालना झुलाने भी खूब उत्साह देखा गया, सभी अपने हाथ से पालना झुलाने का अवसर चूकना नहीं चाहते थे। बालक्रीड़ा में अनेक बच्चों ने अपने नटखट अंदाज से सभी को खूब हंसाया। आयोजन को सफल बनाने में महोत्सव की आयोजन समिति व उप समितियों, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों का उल्लेखनीय योगदान रहा।इस पचास से अधिक ग्राम, नगरों के श्रद्धालु हजारों की संख्या में उपस्थित रहे। ललितपुर, मड़ावरा, सागर आदि स्थानों से बसों से सैकड़ों श्रद्धालु पहुँचे हुए थे। जन्म कल्याणक में शामिल होने आज इतने अधिक श्रद्धालु पहुँचे की महोत्सव स्थल पर बना पांडाल भी कम पड़ गया। माता मरुदेवी भोजनशाला का हुआ उदघाटन : पंचकल्याणक महोत्सव में आज माता मरुदेवी भोजनशाला के नवीन भवन का उदघाटन किया गया। यह भोजनालय क्षेत्र पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए स्थायी रूप से संचालित रहेगी। अतिथियों का स्वागत महामहोत्सव एवं ट्रस्ट कमेटी अध्यक्ष संतोष जी जैन घड़ी सागर, महा महोत्सव के महामंत्री अजित जैन स्टील मडावरा,आशीष चौधरी मड़ावरा, प्रकाश जैन मेडिकल मडावरा, आलोक जैन बरायठा , प्रचारमंत्री डॉ सुनील संचय, प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष विनोद चंदेरिया, महामंत्री अभिषेक जैन दीपू मड़ावरा , कोषाध्यक्ष मुकेश जैन, महा महोत्सव कार्यकारी अध्यक्ष प्रकाश चंद्र बरायठा,चक्रेश जैन बरायठा, राजेंद्र जैन राजू , राकेश जैन खुटगुआ वाले , कोषाध्यक्ष जिनेंद्र जैन मड़ावरा, कमलेश जैन, वीरेंद्र जैन,राजेश जैन रज्जू, त्रिलोक जैन, प्रीतेश जैन आदि ने किया।संचालन प्रदीप जैन मड़ावरा, नीरज शास्त्री ने किया।
सोमवार को होगा तप कल्याणक : महोत्सव के प्रचारमंत्री-मीडिया प्रभारी डॉ सुनील संचय ने बताया कि महोत्सव में सोमवार को तप कल्याणक विधि विधान के साथ आयोजित होगा। इस दौरान पात्र शुद्धि, नित्य अभिषेक पूजन के बाद आचार्यश्री का आशीर्वचन होगा। आदिकुमार का पाणिग्रहण संस्कार विधि (बारात) होगी। राज्याभिषेक, भेंट समर्पण,महामंडलेश्वर नियुक्ति,सेनापति नियुक्ति षटकर्म उपदेश, दंडनीति, ब्राह्मी सुंदरी को शिक्षा, नीलांजना नृत्य लौकांतिक देवागमन, युवराज भरत बाहुबली व बाहुबली राज्य तिलक दीक्षा अभिषेक दीक्षा बन आगमन दीक्षा कल्याणक संस्कार विधि होगी।