राजीव कुमार जैन रानू
क्लोज द केयर गेप थीम पर मनाया जाएगा विश्व कैंसर दिवस
ललितपुर। ललितपुर जनपद निवासी 35 वर्षीय रामसेवक ने बताया कि वर्ष 2015 में मुंह में छाला हो गया था। जिले व आसपास दवाई ली लेकिन आराम नहीं मिला। इस पर कुछ लोगों ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में अच्छे अस्पताल में इलाज कराने की सलाह दी। यहां के चिकित्सक ने 15 दिन की दवाई लिखी और कहा कि अगर 15 दिन में आराम नहीं मिलताहै तो एक बार कैंसर की जांच कराए। जब दवाई खाने से आराम नहीं हुआ तो कैंसर की जांच एक निजी अस्पताल में करवाई। जांच में कैंसर की पुष्टि हुई। इसके बाद गांव के लोगों ने भोपाल में छाले का ऑपरेशन कराने की सलाह दी। लेकिन ग्वालियर में कैंसर हॉस्पिटल में ऑपरेशन कराया, जिसमें करीब डेढ़ लाख रुपए का खर्च आया। इलाज के दौरान जिलाधिकारी के माध्यम से तीन बार राहत राशि प्राप्त हुई है। उसमें से बची राशि से वर्तमान में दवाई चल रही है। इलाज पर हुए खर्चे से कर्जा भी हो गया है। हर महीने दवाई लेने के लिए ग्वालियर जाना पड़ता है। दवाए करीब 6000 से 7000 रुपए की आती है। अब हम भी लोगों को बीड़ी सिगरेट नहीं पीने की सलाह देते हैं।
जनपद निवासी 28 वर्षीय विक्रम सिंह ने बताया कि दिसंबर 2022 में मुंह के गाल में छाला होने की जानकारी हुई। जिस पर ध्यान नहीं दिया। कुछ दिन बाद मुंह कम खुलने लगा। इसके बाद इलाज कराने के लिए भोपाल में एक निजी अस्पताल पहुंचे। कुछ लोगों ने मुंबई इलाज कराने की सलाह दी। मुंबई में अस्पताल में ऑपरेशन की तारीख लंबी मिली तो भोपाल में एक निजी अस्पताल में इसका ऑपरेशन कराया। कुछ महीने सब कुछ ठीक रहा और पहले की तरह काम करने लगे। इसके बाद पुन: मुंह के एक गाल में एक फुंसी उभर आई। इस पर इलाज कराना दुबारा शुरू किया। वर्तमान में शरीर में कमजोरी आ गई है साथ ही कमर व पीठ में दर्द अक्सर होता है तो जब दर्द बढ़ जाता है तो दर्द का इंजेक्शन लगवाना पड़ता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. जे.एस.बक्शी ने बताया कि गैर संचारी रोग देश में मृत्यु का प्रमुख कारण बनते जा रहे हैं। कैंसर स्टेटिक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 63 प्रतिशत मृत्यु गैर संचारी रोगो की वजह से हो रही हैं। जिसमें 9 प्रतिशत का कारण कैंसर हैंढ्ढ यदि कैंसर का पता शुरुआती समय में लगा लिया जाये तो इसका सफल इलाज उपलब्ध है। इस वर्ष क्लोज द केयर गेप थीम पर विश्व कैंसर दिवस मनाया जाएगा। महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज की पब्लिक हैल्थ एक्सपर्ट डा. सुधा शर्मा बताती हैं कि पुरुषों को होने वाले कैंसर में सबसे अधिक 16 प्रतिशत मुंह के एवं लगभग 8 प्रतिशत फेंफड़ों के कैंसर के मरीज होते हैं। वहीं महिलाओं में सबसे अधिक 26 प्रतिशत स्तन और18 से 19 प्रतिशत सरवाईकल यानि गर्भाशय कैंसर के मरीज होते हैं। पिछले कई वर्षो में कैंसर के इलाज में काफी प्रगति हुई है। कम्यूनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ डा.सौरभ सक्सेना ने बताया कि कैंसर शरीर की कोशिकाओं के समूह में असामान्य एवं अनियंत्रित वृद्धि है। जिसकी समय पर जांच व इलाज ना हो तो यह शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल सकता है। जीवन शैली व खानपान में परिवर्तन से कैंसर से बचा जा सकता है। जैसे कि तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट से दूर रहकर, तम्बाकू चबाना छोड़कर टेढ़े मेढ़े दांतों का इलाज करा कर मुंह के कैंसर से बचा जा सकता है। मुंह का कैंसर स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर एवं फेफड़े का कैंसर भारत में पाई जाने वाले कैंसर का प्रमुख प्रकार है। मुंह में यदि दो हफ्ते से अधिक छाला हो और ठीक न हो रहा हो तो इसकी जांच कराना चाहिए। मुंह की साफ सफाई ठीक तरीके हो तो भी कैंसर से बच सकते हैं। स्तन में यदि गांठ हो या रक्तस्राव हो रहा हो तथा लंबे समय से अनियमित माहवारी की समस्या बनी हो तो चिकित्सीय परामर्श आवश्यक है।
आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत कैंसर का इलाज संभव
आयुष्मान भारत जनआरोग्य योजना के नोडल अधिकारी डा.अवधेश यादव ने बताया कि आयुष्मान कार्ड सभी के लिए मददगार साबित हो रहा है। खासतौर पर कैंसर के मरीजों के लिए। जनपद में कुल 963 कैंसर मरीज आयुष्मान कार्ड द्वारा जनपद एवं बाहरी अस्पतालो में इलाज करा रहे हैं। ऐसे में जनमानस से अपील है कि जिनका आयुष्मान कार्ड अभी नहीं बना है वह अपने निकटतम स्वाथ्य केंद्र एवं जनसेवा केंद्र, पंचायत सहायक, आशा कार्यकर्ता द्वारा आयुष्मान कार्ड जरुर बनवा ले। जिससे कि जरुरत पडऩे पर इसका इस्तेमाल किया जा सकें।
पांच लाख तक की ले सकते सहायता
यदि किसी के पास आयुष्मान कार्ड नहीं है तो वह जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री राहत कोष या फिर विधायक निधि से आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकता है। विधायक निधि में पांच लाख रुपए या पांच लाख से कम की आर्थिक सहायता की व्यवस्था की गई है। शर्त यह है कि वह संबंधित विधानसभा क्षेत्र का निवासी हो, वार्षिक आय एक लाख रुपए हो और वह एसजीपीजीआई या दिल्ली एम्स के लिए रेफर किया गया हो या इलाज करा रहा हो। आवेदन के दौरान एक शपथ पत्र में लिखना होता है कि अन्य किसी स्रोत से लाभ नहीं लिया गया है। ऐसे मरीज को सहायता प्राप्त करने की श्रेणी में रखा गया है और वह संबंधित अस्पताल का एस्टीमेट प्रस्तुत कर सकता है। मुख्यमंत्री राहत कोष से आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए जिलाधिकारी के कार्यालय में प्रार्थना पत्र देना होता है। इस दौरान उसे एक शपथ पत्र आय प्रमाण पत्र और निवास प्रमाण पत्र की छाया प्रति संलग्न होती है।