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चर्चित उमेश पाल हत्याकांड के बीते 5 दिन मुख्य अपराधी पकड़ से दूर

Thursday, March 2, 2023

/ by Today Warta



प्रयागराज प्रयागराज जिले का प्रदेश भर में चर्चित उमेशपाल_हत्याकांड के 5 दिन बीतने को है। इस घटना में कार चालक अरबाज के एनकाउंटर और सदाकत खान गिरफ्तारी के बाद तीसरी प्रक्रिया के रूप में माफिया अतीक के कथित किराए के मकान पर बाबा का बुलडोजर चलाया गया है। साजिश रचने की आरोपी अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन और शूटआउट में शामिल उसका बेटा मो. असद, शूटर गुड्डू मुस्लिम, मो. गुलाम, इमरान समेत बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। शाइस्ता परवीन लगातार अपने पति, देवर और बेटे के हत्या की आशंका जताई।

नामजद आरोपियों की तलाश जारी 

परिवार को बचाने की गुहार लगाते हुए मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा। लेकिन अब शाइस्ता परवीन अंडर ग्राउंड हो गई है। उमेश पाल हत्याकांड में नामजद अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन फरार है। पुलिस उनकी तलाश में दबिश दे रही है। खुल्दाबाद के चकिया में वह अपनी जिस बहन के घर रहती हैं। वहां से वह घटना के दूसरे दिन ही निकल गईं थीं। उसके बाद से शाइस्ता का कुछ पता नहीं है। इस मामले में अफसरों का कहना है कि नामजद सभी लोगों की तलाश की जा रही है। शाइस्ता भी उनमें से एक हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि अमूमन ऐसी सनसनीखेज वारदातों में संबंधित थाने के प्रभारी निरीक्षक से लेकर बीट सिपाही तक की जिम्मेदारी तय की जाती है। आला अधिकारी उनके खिलाफ जांच कराकर उनकी एक्शन लेते हैं। इस घटना में अभी तक सिंगल वर्दी वाले तक की जिम्मेदारी तय नहीं की गई है। 

सवाल उठता है कि क्यों?

शहर के धूमनगंज क्षेत्र में थाने से महज 200 मीटर की दूरी पर सुलेमसराय मोहल्ले में जीटी रोड पर 24 फरवरी की शाम 5:30 बजे अचानक से बमबाजी फायरिंग होती है। चौतरफा धुआं फैल जाता है। धुआं छटा तो पता चला कि इसमें राजू पाल हत्याकांड के गवाह अधिवक्ता उमेश पाल और उनके गनर संदीप निषाद की हत्या हो चुकी है। उनका दूसरा सरकारी गनर जीवन और मौत से अभी भी संघर्ष कर रहा है।

आरोपियों पर 50 - 50 हजार का इनाम

 उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने इस संबंध में माफिया अतीक अहमद, उसके भाई खालिद अजीम उर्फ मोहम्मद अशरफ के साथ अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन, बेटे असद, शूटर गुड्डू मुस्लिम, इमरान, गुलाम अतीक के बेटों और अन्य के खिलाफ हत्या समेत अन्य संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई। विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का "माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे" बयान सोशल मीडिया पर खूब ट्रेंड कर रहा है। अरबाज का एनकाउंटर सदाकत खान की गिरफ्तारी फरार पति के बेटे असद समेत अन्य आरोपियों पर 50 - 50 हजार का इनाम और जफर अहमद के घर पर बुलडोजर चलने की प्रक्रिया माफिया की कमर तोड़ना ही कहा जाएगा।

थाने से चंद दूरी पर इतनी बड़ी घटना को दिया गया अंजाम 

 इस प्रकरण में पुलिस अभी तक दो दर्जन से ज्यादा लोगों को उठा चुकी है। उनसे पूछताछ की जा रही है। इसमें बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष एवं शूटर गुलाम का भाई, पत्नी समेत अन्य शामिल है। थाने के समीप घटना के बावजूद आखिर 5 दिन बाद भी पुलिस वालों की क्यों नहीं थे। हम जिम्मेदारी, 

उठने लगे सवाल?

 घटना की गंभीरता के अनुसार तो पुलिस के आला अधिकारियों ने कार्रवाई भी की। आगे भी बड़ी तेजी से जांच चल रही है। लेकिन क्षेत्रीय पुलिस की जिम्मेदारी अभी तक तय नहीं हुई। थाने से चंद दूरी पर इतनी बड़ी घटना को अंजाम देना बिना पूर्व नियोजित साजिश के मुश्किल कार्य होता है। वह भी दिनदहाड़े। हैरानी की बात यह है कि शूटर्स आते हैं, घटना करते हैं और चले जाते हैं। परंतु क्षेत्रीय पुलिस को भनक तक नहीं लगती। जीटी रोड जैसे भीड़-भाड़ क्षेत्र में सरेआम गोलियों की बौछार और दो-दो जघन्य हत्याएं। वह भी तब जब पुलिस प्रशासन से लेकर आम आदमी तक को यह पता हो कि अधिवक्ता उमेश पाल के अपहरण कांड में कभी भी कोर्ट का फैसला आ सकता है। उमेश पाल पर इससे पहले भी पांच बार हमले हो चुके थे। आगे भी अंदेशा जताया जा रहा था। फिर खुफिया तंत्र और पुलिस ने इतनी लापरवाही क्यों बरती। इसकी भी जांच होकर निष्पक्ष कार्रवाई की जानी चाहिए।

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