राकेश केशरी
कौशाम्बी। आम के बाग पुराने होने से वृक्षों पर फल नहीं आ रहे हैं तो किसानों को निराश होने की जरुरत नहीं है। न ही बाग को कटवाने की सोचें क्योंकि फल न देने वाले वृक्षों पर भी अब पुना पूर्व की भांति फलोत्पादन हो सकेगा। कृषि विशेषज्ञ इसमें आॅक्सीक्लोराइड या गाय के गोबर को मददगार मान रहे हैं। पौधरोपड़ के बाद आम के वृक्ष से करीब चालिस साल तक फलों की पूरी पैदावार मिलती है इसके बाद फ लोत्पादन में कमी आ जाती है। इस हाल में किसान आम के वृक्षों को अनुपयोगी मानकर कटवा देते हैं। कुछ ऐसे भी किसान हैं जिन्होंने बाग लगाया और वृक्ष पर फल नहीं आए फिर भी वह लगाव के चलते कटवाना नहीं चाहते। ऐसे लोगों की मेहनत अब व्यर्थ नहीं जाएगी। ऐसे वृक्ष जिन्हें चालीस वर्ष हो गए हैं। अब उनपर फल नहीं आ रहे हैं तो 4 से 5 मीटर की ऊंचाई पर उनकी शाखाओं में धारदार आरी से चीरा लगाकर कटे भाग को आॅक्सीक्लोराइड अथवा गाय के ताजा गोबर का लेप कर दें। ऐसा करने से लाभ यह होगा कि तने में सडन नहीं होगी। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि इस विधि से जीर्णोद्धार करने को सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इसके साथ ही पेड़ की जड़ के आसपास खुदाई करें और गोबर की सड़ी खाद डालें। ऐसा करने के बाद तीन माह में कटे भागों से कोपलिकाएं निकल आएंगी। इस बारे में कृषि वैज्ञानिक डा0 मनोज सिंह ने बताया कि आम के अफलित पेड़ों से फलोत्पादन के लिये यह अच्छी विधि है। उन्होंने बताया कि जीर्णोद्धार की इस विधि से तीन साल के बाद पुराने पेड़ों से पुना फलोत्पादन होने लगता है ओर पुराना बाग नये बाग में बदल जाता है।