राकेश केशरी
नेता जी ख्वाहिश बस किसी प्रकार से जीत जाये चुनाव
कौशाम्बी। आजकल अपने नेताजी धार्मिक हो गए हैं। रोज सुबह शाम दोनों वक्त मंदिर जाना वह नहीं भूलते हैं। वह भगवान को प्रसाद चढ़ाते हैं और फिर खुद भी खाते हैं। बदले में वह केवल यह प्रार्थना करते हैं कि प्रभु मेरी लाज रखना और इस बार नैया जरुर पार लगा देना। ऐसा होने पर वह भगवान की कथा करवाने और मंदिर में पचास किलो का घंटा भी चढ़ाने का प्रलोभन देते हैं। नेताजी की ख्वाहिश है कि बस किसी तरह से इस बार चुनाव जीत जाएं। धार्मिकता की इस बयार में नेताजी अपने पुराने खाते भगवान के सामने खोलने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। भगवान की मूर्ति के आगे नतमस्तक होकर अपनी मजबूरी भी बता रहे हैं। हे ईश्वर,तू तो सब जानता है। पर मैं क्या करूं,राजनीति में सब करना पड़ता है। नगर के किसी वार्ड में अगर सड़क नहीं बनी तो क्या हुआ। उसके लिए टेंडर तो मैने ही पास करवाये थे। अब अगर ठेकेदार ज्यादा कमाने के चक्कर में रहा तो इसमें मेरा क्या कसूर। मैने तो अपना तय हिस्सा दस प्रतिशत ही लिया। अब रही मदिरा पान करने की बात। सो वह मैं अपनी इच्छा से कभी नहीं करता था। जनता की चिंता में दिमाग को हल्का करने के लिए कोई न कोई तो सहारा चाहिए। फिर देवता भी तो सोमरस का पान करते हैं,मैने थोड़ी सी अपने हलक के नीचे उतार ली तो कौन सा गुनाह कर दिया। जनपद के एक नगर पंचायत के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी मंदिर में पहुंचे। देबी माता की मूर्ति के आगे ज्योति जलाई और माथा टेकते ही भावुक हो गए। हे मां,पिछली बार जिस पर मैने भरोसा किया था उन लोगों ने मुझे कहीं का न छोड़ा। मैं उसके सहारे अपनी नैया पार लगाना चाहता था,लेकिन उन लोगों ने ऐसा धोखा दिया कि अब उन्हीं से दो चार होने की नौबत आ गई है। अब मैं तो प्रभु तुम्हारी ही शरण में हूं। तुम्हारी कृपा हो जाए तो मझधार में फंसी नैया इस बार पार अवश्य होगी। यह काम प्रभु की मर्जी के बिना नहीं हो सकता है। प्रभु तुम्हारा आर्शीवाद हमारी नैया जरूर पार लगा देगा। एक और नेताजी तो जीत होने पर विशाल भंडारा कराने की बात कह रहे हैं। इसके लिए उन्होंने सामान भी खरीद कर अलग रख दिया है। एक दूसरे समुदाय के नेताजी कहते हैं कि अल्लाह हुजूर हमारी जरूर लाज रखेगा। ऊपर वाले की नजरें इनायत हुए बिना किसी का भला नहीं हो सकता है। अपने कलियुगी भक्तों को निहार भगवान भी मुस्कुराये बिना न रहते होंगे। नेताजी चुनाव में जीतेंगे या नहीं यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा,पर पुजारी जी जरूर मौके का फायदा उठाने से नहीं चूकना चाहते हैं। वह भी नेताजी के ग्रह दशा खराब बताकर अनुष्ठान कराने के लिए सामग्री खरीदने के लिए पैसा मांग लेते हैं। नेताजी भी मना नहीं कर पा रहे हैं। किसी न किसी का तो भला हो ही रहा है।