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अलवारा में गोशाला के नाम पर हर माह 1.65 लाख की हेराफेरी

Friday, April 28, 2023

/ by Today Warta



 डीपीआरओ के निरीक्षण में गोशाला में नहीं मिले एक भी मवेशी

 गोशाला में 155 गोवंश होने का किया जा रहा दावा

 चार केयर टेकर को हो रहा हर माह 24 हजार का भुगतान

 चारा पानी के नाम पर पर भी होता है खर्च

 सचिव नहीं दिखा सके दस्तावेज

कौशांबी : अलवारा के गोशाला गोशाला में एक भी मवेशी नहीं थे लेकिन सचिव का दावा है कि यहां 155 गोवंश रहते हैं। निरीक्षण के दौरान डीपीआरओ को वहां एक भी गोवंश नहीं मिले। इतना ही नहीं केयर टेकर और चारा भूसा भी नहीं था। सचिव ने गोशाला समेत गांव में हुए विकास कार्यों से जुड़ा कोई दस्तावेज नहीं दिखा सके। डीपीआरओ ने प्रधान के खिलाफ नोटिस जारी करने और सचिव के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है। सरसवां के अलवारा गांव की गोशाला का निर्माण पौरकाशीरामपुर में हुआ है। शुक्रवार की सुबह डीपीआरओ डा. बाल गोविंद श्रीवास्तव एडीओ पंचायत शिव कुमार श्रीवास्तव के साथ गोशाला निरीक्षण के लिए पहुंचे। इनके आने की जानकारी पर सचिव रामभवन भी वहां आ गए। निरीक्षण के लिए जैसे ही डीपीआरओ गोशाला पहुंचे तो वहां का नजारा देखकर वह दंग रहे गए। गोशाला में एक भी मवेशी नहीं थे। जबकि सचिव का दावा था कि यहां 155 गोवंश हैं। गोशाला के केयर टेकर भी गायब मिले। वहां चारा के नाम पर भी कुछ नहीं था। गोशाला खाली देखकर डीपीआरओ ने सचिव को फटकार लगाई। कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। इतना ही नहीं मामले में प्रधान को भी नोटिस जारी होगी। गोशाला के बाद डीपीआरओ गांव का निरीक्षण करने पहुंचे तो शौचालय बदहाल मिला। पंचायत भवन जर्जर था। पंचायत का काम प्रधान के घर से संचालित होता था। इस पर उन्होंने नाराजगी जताई है। डीपीआरओ ने बताया कि शौचालय की हालत को लेकर यहां के केयर टेकर को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाएगा।

गांव की जो हालत है वह बेहतर ही खराब है। निरीक्षण में कुछ भी सही नहीं मिला। सचिव किसी प्रकार के दस्तावेज नहीं दिखा सके। गोशाला में मवेशी न होने समेत अन्य मुद्दों को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। साथ ही प्रधान को भी नोटिस जारी किया जाएगा।

- डा. बाल गोविंद श्रीवास्तव, डीपीआरओ

अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल :

बुधवार को डीएम ने गोशाला संचालन को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में उन्होंने साफ कहा कि गोशाला बंद नहीं होना है। कोई न कोई केयर टेकर यहां जरूर रहे लेकिन पौरकाशीरामपुर की गोशाला में एक भी मवेशी नहीं थे। जबकि गोशाला संचालन के लिए ब्लाक से लेकर जिले स्तर के अधिकारी दिन रात काम कर रहे हैं। इसके बाद भी गोशाला में मवेशी न मिलना सभी की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा है।

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