राकेश केशरी
कौशाम्बी। फलों का राजा कहे जाने वाले आम के दोआबा में तरह-तरह के किस्मों के बाग हैं। इनसे निकलने वाले आम देश के कोने-कोने में अपनी मिठास का डंका बजाते हैं। इसका जायका जिले के लोगों को भी मिलता है, लेकिन इस बार दोआबा में आम आदमी की पहुंच से आम दूर होता नजर आ रहा है। दो दिन आई आंधी से बागों में दिख रहे 40 फीसदी आम के फल तैयार होने से पहले गिर गए हैं। इससे बागवानों के चेहरों में मायूसी दिखने लगी है।
दोआबा में तरह-तरह किस्म के आम के बाग लगभग दस हजार बीघा में है। अकेले कड़ा ब्लॉक क्षेत्र में लगभग एक हजार बीघे में जायके के लिए मशहूर फजली, दशहरी और लंगड़ा की बाग है। इस वर्ष 80 फीसदी आम की फसल अप्रैल के पहले पखवारे तक बची थी। बागों में फलों को देख बागवान अच्छी कमाई होने का सपना देख रहे थे। पेड़ों में फलों को देख यह माना जा रहा था कि इस साल आम का जायका आम आदमी भी ले सकेगा। उनके इस मंसूबे पर पानी फिरता दिख रहा है। दो दिन आई आंधी से पेड़ों में लगे 40 फीसदी फल टूट कर गिर गए हैं। इन फलों के गिरने से बागवानों को फूटी कौड़ी नहीं मिली और उनकी कमाई के मंसूबों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। फलों की पैदावार घटने आम की कीमतों में भारी उछाल आना भी तय हो गया है।

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