राकेश केशरी
कौशाम्बी। नगर निकायों में महिला वोटर की अच्छी खासी तादाद पर चर्चा चल रही है। वह इसलिए की यदि वे कमर कस कर चैखट से निकली तो, स्वंप्रेरणा से राजनीतिक दलो के चुनावी समीकरण बदल सकती हैं। आयोग के निर्देश पर जिला निर्वाचन कार्यालय ने नगर पालिका परिषद/नगर पंचायतों में हजारो नये मतदाताओं को जोड़ा है। यदि महिलाएं चैखट से शत प्रतिशत निकल कर बूथ पर पहुंची और अपने विवेक से अपने चहेते प्रत्यासी को मतदान किया तो चुनावी समीकरण बदल सकता है। राजनीतिक विशेषज्ञों का भी मानना है कि महिलाएं जातीय,संप्रदायवाद पर विश्वास नहीं करती,जबकि पुरूष जातीय अथवा संप्रदाय के जंजीरों से जकड़ा रहता है। वे मनोवैज्ञानिक रूप से उसी दल को वोट करते हैं जो इनके मनमाफिक होते हैं। इसलिए इनकी भूमिका नगर निकाय चुनाव में काफी महत्वपूर्ण होगी।