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मुख्य सचिव व निदेशक का आदेश भी नहीं हिला सका बाबू की कुर्सी

Monday, April 24, 2023

/ by Today Warta



राकेश केशरी

10 साल से एक ही पटल व आफिस में तैनात डीपीओ आफिस का लिपिक

कौशाम्बी। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) कार्यालय में बीते 10 साल से एक ही पटल पर समूह ग के कार्मिक की तैनाती है। जो गंभीर अनियमितता की श्रेणी में आता है। जबकि सरकारी कार्यालयों में कार्य की शुचिता बनाए रखने व प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ प्रशासन देने की मंशा है। इसे साकार करने के लिए मुख्य सचिव ने आदेश जारी किया था। करीब एक साल पहले जारी किए गए आदेश का शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर कड़ाई से अनुपालन करने के लिए सभी सरकारी विभागों के विभागाध्यक्ष को कहा गया था। शासनादेश में साफ कहा गया है कि समूह ग के जिन कार्मिकों का एक पटल और क्षेत्र में कार्यकाल तीन वर्ष पूरा हो चुका है। उनका अनिवार्य रूप से पटल और क्षेत्र परिवर्तन कर दिया जाए लेकिन जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय में स्थापना एवं सूचना पटल पर तैनात लिपिक लोकनाथ सोनी की कुर्सी बीते 10 साल से टश से मश नहीं हुई है। जबकि मृतक आश्रित कोटे से नियुक्त इस लिपिक की कार्यशैली पर तमाम सवालिया निशान पैदा होते रहे हैं। इसके बावजूद मुख्य सचिव के आदेश का पालन नहीं होना तमाम गंभीर सवाल पैदा करता है। 13 मई 2022 को मुख्य सचिव दुगार्शंकर मिश्र ने शासनादेश के जरिए समूह ग के कार्मिकों का प्रत्येक तीन वर्ष के उपरांत पटल व क्षेत्र परिवर्तन किए जाने का आदेश जारी किया गया था। इस आदेश का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने की समय सीमा 30 जून तक तय की गई थी। इसके साथ ही बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग उत्तर प्रदेश की तत्कालीन निदेशक डा0 सारिका मोहन ने भी 16 जून 2022 को सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों को इसका निर्देश दिया था। हैरानी की बात है कि शीर्ष प्राथमिकता पर शासनादेश का अनुपालन करने का आदेश होने के बावजूद लिपिक का क्षेत्र और पटल परिवर्तन नहीं किया गया। शासनादेश का उल्लंघन करके करीब दस साल से एक ही पटल पर जमे हुए समूह ग कार्मिक लोकनाथ सोनी की विभाग में नियुक्ति मृतक आश्रित कोटे से हुई है। मंडल में 12 वर्ष से अधिक का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है। बतां दें कि जिले की सभी परियोजनाओं में तैनात मुख्य सेविकाओं का लिपिक के पटल से सीधा संबंध है। नाम नहीं छापने की शर्त पर मुख्य सेविकाओं ने बताया है कि सूचनाओं की फीडिंग के लिए डीपीओ कार्यालय जाने पर लिपिक का व्यवहार उनके प्रति बेहतर नहीं होता। वह अन्य कई आरोप भी इन पर लगा रही हैं। सिराथू परियोजना की एक मुख्य सेविका के साथ किए गए र्दुव्यवहार के बाद वह कार्यालय में ही बिलख-बिलख कर काफी देर तक रोती रहीं। मामले को लेकर विभाग में कई दिनों तक चचार्ओं का बाजार गर्म रहा। वही लिपिक लोकनाथ सोनी का कहना है कि कार्यालय में मुझसे किसी से कोई विवाद नहीं हुआ है। मै लगभग छह साल से तैनात हूं और दो तीन बार पटल बदल चुका है। जिला कार्यक्रम अधिकारी सुरेश गुप्ता ने बताया कि लिपिक लोकनाथ सोनी की कार्यालय में करीब 10 साल से तैनाती है। बीते वर्षों के दौरान एक बार पटल परिवर्तन होने की जानकारी है। निर्वाचन आचार संहिता हटते ही शासनादेश का अनुपालन में हुई चूक का सुधार करते हुए तुरंत कार्रवाई की जाएगी।

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