देवेन्द्र कुशवाहा
कौशाम्बी। नगर निकाय चुनाव में अब जबकि सियासी पारा चढने लगा है। ऐसे में आम जनता के साथ सरकारी कर्मचारी भी प्रचार प्रसार का मजा उठा रहे हैं। वार्डो में जाकर अपने.अपने प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने की अपील व चुनाव कार्यालयों का संचालन भी वे खुले आम कर रहे है। अनेक प्रतिबंधों को दरकिनार कर ऐसे दबंग कर्मचारी आदर्श चुनाव आचार संहिता के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। जिनको विद्यालयों में शिक्षा का आदर्श माना जा रहा है। वही नगर निकाय चुनाव का प्रचार प्रसार घर.घर जाकर करने के साथ ही आदर्श आचार संहिता के नियमों का मजाक उड़ा रहे है। उनको कोई पहचाने न इसके लिए वे काले शीशा युक्त लग्जरी वाहनों का प्रयोग करते नजर आ रहे हैं। यह बात आम जन मानस को अखर रही है कि विद्यालयों में शिक्षा के प्रति जागरूक न होकर गुट बंदी कर विद्यालयों में राजनीति की रोटी सेंक रहे हैं। हालत यह है कि विद्यालयों में अध्यापकों की संख्या नगण्य दिख रही है। चाहे वह प्राथमिक विद्यालय हो या इण्टर कालेज हो। छात्रों को ही विद्यालयों में शिक्षक की भूमिका अदा करते देखा जा रहा है। गुरूजी लोगों के चुनावी रंगत में रंग जाने के बाद छात्र भी राजनैतिक चर्चा में मशगूल देखे जा रहे है।