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चुनावी व्यंग...कलुवा भाई, केकर समर्थन हो रहल बा

Thursday, April 27, 2023

/ by Today Warta

 


राकेश केशरी 

कौशाम्बी। का मियां कलुवा का हालचाल बाय। सब ठीक है गुरु। अरे झगडुवा क का खबर बाय। अरे पूछा मत जब से नगर निकाय का चुनावी बिगुल बजल बाए उ बहुत व्यस्त हो गयल हौ। सुबह.शाम ओकरे यहां दरबार लग रहल बाय। काहें गुरु सब ठीकठाक तक हौ। मियां,चुनाव लड़े वाले ओके पोटीयावे में लगल बाड़े। एही खातिर ओकर खूब खातिरदारी हो रहल बाय। ए समय ओकरे पर मार पइसा बरस रहल हौ। ओकरे यहां जे आवत है नोट कय गड्डी थमा के जात बाय। गुरु जब से होश संभलल राजनीति में कूदल बा। एही से त आज क्षेत्र में ओकर गजब का पकड़ हौ। जहां घूम देला लोगन क भीड़ अपने आप जुट जाला। तब गुरु ऊ कवन प्रत्याशी क समर्थन कर रहल बाय। अरे इहै तो कोई ना जान पइलस। एक बात त हउ,गुरु ऊ जेकरे संगे खड़ा होई ओकर जीत त एकदम पक्का हौ। एही से त ओकरे यहां चुनाव लड़े वालन क दरबार लगल रहत बाय। लेकिन ऊहो सबके आश्वासन देकर टरका रहल हौ। मियां अबहीं ऊ सबकर नब्ज टटोल रहल बाय। जवन प्रत्याशी ओके ठीक लगी ओही के संगे ऊ चुनावी मैदान में ताल ठोकी। बड़ा दिन भयल चला आज ओसे मिल आवल जाय। ठीक कह रहे हो मियां,चला चली जा। अरे कलुवा भाई सलाम, का हाल बाय। सलाम,सलाम। आज इधर कइसे,सब ठीक त हौ। कवनो परेशानी त ना बा। ना ही, ना ही। अइसन कवनो बात ना नहीं हौ। बस तोहार हाल चाल लेवय चल अइली जा। गुरु बोल पड़े,तब क्षेत्र में चुनाव क का हाल बाय। सब ठीक है भाई लोग। कलुवा भाई, अबकी दफा केकर समर्थन हो रहल बाय। का बताई गुरू जे आवत बा नोट क गड्डी दिखा रहल बाय। कोई पचास देवे क बात कर रहल बा तो कोई लाख क। कवनो इ ना ही कहत की क्षेत्र में इ करा देब उ करा देब। तब कलुवा भाई का विचार बनल हौ। कछु ना ही आवे दा अउर दरबार लगावे दा। पनरूआ के बारे में तोहन लोगन क का विचार हौ। कलुवा भाई गरीब हवें लेकिन ईमानदार व कर्मनिष्ठ हउवे। हमहन त पनरू, के वोट करल जाई। पढ़ल.लिखल हौ अउर यंग भी हव। अध्यक्ष बनले पर जरूर क्षेत्र के विकास करी।

अभी नहीं तो कभी नहीं

चुनावी गर्मी बढ़ते ही वोट के कथित ठेकदार भी सक्रिय हो गये हैं। इनका मकसद सिर्फ मौके का फायदा उठाना। यह उस हर प्रत्याशी के साथ नजर आ रहे है, जिससे इनका लाभ हो सकता है। चट्टी चैराहों पर इनकी सक्रियता से माहौल और भी गर्म हो गया है। ऐसे लोग प्रत्याशियों को मौका मिलते ही यह समझाने का प्रयास कर रहे है कि हमारे पास अमुक वार्ड में इतना वोट है। प्रत्याशी भी मजबूर हैं। कम से कम मतदान तक इनकी बात सुननी ही है। ऐसे में उन्हें धन के साथ ही मजबूरी में खान-पान भी उपलब्ध करा रहे हैं। हालत यह है कि कल तक पैदल घूमने वाले आज लग्जरी वाहनों में नजर आ रहे हैं। इस खेल का मतदाता भी चटकारे लेकर मजा ले रहा है। कारण कि ऐसे ठेकेदारों की हकीकत वह अच्छी तरह जानता है।

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