इन्द्रपाल सिंह'प्रिइन्द्र
कर्ज के नाम पर गरीब, किसानों का शोषण करने वालों पर होगी कार्यवाही
कर्ज के बोझ से मिलेगी मुक्ति, आय में वृद्धि होने से आर्थिक स्थिति में होगा सुधार
ललितपुर। उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ की अधिसूचना के अंतर्गत उ.प्र. साहूकारी विनियमन अधिनियम, 1976 को निरसित कर दिया गया है। उक्त के क्रम में जिलाधिकारी आलोक सिंह द्वारा निर्देश दिये गए हैं कि जनपद में यदि कोई व्यक्ति अवैध रुप से सूदखोरी के नाम पर किसानों व गरीब व्यक्तियों का शोषण करता पाया जाता है तो उसके विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही अमल में लायी जाएगी। इस सम्बंध में जिला साहूकारी अधिकारी/अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) गुलशन कुमार ने बताया कि अवैध सूदखोरी व मनमाने ब्याज पर ऋण देने की प्रथा जिले के विकास में रोड़ा बनी हुई थी, जिसमें फंसकर दर्जनों किसान व ग्रामीणों की आर्थिक स्थित पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है, साथ ही इस कारोबार की आड़ में कई गुना ब्याज लगाकर अनेकों व्यक्ति कर्जदार हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि अधिकांश किसान फसल बुवाई के लिए कीमती जेवर, ट्रैक्टर व अन्य वाहन यहां तक कि जमीन और घर तक गिरवी रख कर निर्धारित किए गए रेट के ब्याज पर कर्ज लेकर काम चलाते हैं, लेकिन समय पर कर्ज नहीं चुका पाते हैं और उन पर चक्रवृद्धि ब्याज लगना शुरू हो जाता है, जो हर महीने दोगुना और तीन गुना तक हो जाता है, जो मूलधन से कई गुना बढ़ जाता है और कर्जदार उसकी ब्याज के फेर में फंसा रह जाता है। वे और उनके परिवार भी कंगाली की कगार पर पहुंच जाते हैं। उक्त अधिनियम के निरसित हो जाने से अब जनपद के किसान व गरीब तबके के लोगों को राहत व कर्ज के बोझ से मुक्ति मिलेगी।