इन्द्रपाल सिंह'प्रिइन्द्र
सभी प्रत्याशी कर रहे अपनी जीत के दावे
कहीं सत्तादल के प्रत्याशी तो कहीं सपा, बसपा तो कहीं निर्दलीय प्रत्याशियों का रहा दबदबा
मतगणना होगी तेरह मई को, प्रत्याशियों को समय काटना मुश्किल
ललितपुर। नगरीय निकाय के लिए गुरूवार 4 मई को हुए मतदान में ललितपुर नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत महरौनी, नगर पंचायत पाली व नगर पंचायत तालबेहट के अध्यक्ष व सभासद पद के प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला मतपेटियों में कैद हो गया है। मतगणना 13 मई 2023 को होगी। नौ दिन का प्रत्याशियों को यह समय काटना मुश्किल नजर आ रहा है। अपने भाग्य के फैसले के लिए नौ दिनों तक इंतजार करना पड़ेगा। आज सम्पन्न हुए मतदान में किसी भी दल की स्थिति साफ दिखायी नहीं दी। कहीं निर्दलीय प्रत्याशियों का तो कहीं राजनैतिक दलों से अधिकृत प्रत्याशियों का दबदबा खूब चर्चाओं में रहा। कुल मिलाकर आज मिले रूझानों से किसी भी प्रत्याशी की जीत की घोषणा नहीं की जा सकती लेकिन इतना जरूर है कि जिले में अब तक दिखने वाली आमने-सामने की टक्कर बहुकोणीय संघर्ष में तब्दील हो गई है। सभी प्रत्याशियों ने आखिरी दौर जीत के लिए जमकर जोर लगाया।
नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के लिए जहां राजनैतिक दलों के बीच टक्कर मानी जा रही थी तो वहीं निर्दलीय प्रत्याशियों के पक्ष में चली हवा ने सभी को सकते में डाल दिया। हालांकि सभी प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। सत्तादल भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी सरला जैन अभिलाषा ने केन्द्र व प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के साथ नगर में विकास कराने की बात कही। वहीं सपा प्रत्याशी अरूणा शर्मा भी अपनी जीत के प्रति आशान्वित नजर आ रही हैं। उनका कहना है कि सपा पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के संघर्ष से उनकी जीत की उम्मीद काफी बढ़ गयी है। वहीं बसपा प्रत्याशी क्रान्ति कुशवाहा, आप प्रत्याशी मीना राजा, कांग्रेस प्रत्याशी निधि दुबे, निर्दलीय प्रत्याशी भी अपने-अपने जीत की ओर आगे बढऩे की बात करतीं देखी गयीं।
जनता ने इस चुनाव में परिवर्तन लाने के लिए किया और जनता का विश्वास चुनाव में जीत के रूप में तब्दील होता दिखा। कुल मिलाकर इस बार के निकाय चुनाव में संघर्ष काफी कड़ा देखने को मिला। कहीं साईकिल की रफ्तार तेज हुई तो कहीं हाथी की चिंघाड़ ने विरोधियों में दहशत पैदा की तो कहीं कमल का फूल खिलता दिखा तो कहीं हाथ का पंजा नजर आया। इन सभी के बीच निर्दलीय प्रत्याशियों का प्रचार जमकर चर्चाओं में रहा। इस बार हुए वोट के ध्रुवीकरण ने चुनावी गणितिज्ञों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। प्रत्याशी जीत के दावे जितने चाहे कर लें लेकिन वास्तविकता अब मतपेटियों में कैद है। तेरह मई को होने वाली मतगणना में खुलासा हो जाएगा कि किस प्रत्याशी को मतदाताओं ने हार पहनाया और किसे हराया। विडम्बना की बात तो यह है कि महज नौ दिन का समय भी प्रत्याशियों को बैचैनी में डालता नजर आ रहा है। यह 9 दिन प्रत्याशियों के लिए काट पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि पीड़ादायक होंगे क्योंकि हर रोज जीत व हार की स्थितियां चर्चाओं में बदलती नजर आएंगी। लोगों को मतगणना के दिन का बेसब्री से इंतजार है, क्योंकि मतदान का प्रतिशत देखकर सभी प्रत्याशी संशय में जरूर हैं। भले ही वह बनावटी हंसी हंस कर जीत के दावे जरूर कर रहे हों, लेकिन चुनावी ऊँट किस करवट बैठेगा, यह भविष्य में सुरक्षित है।