आलोक मिश्रा कौशाम्बी। परिषदीय विद्यालयों में पढने वाले बच्चों को पठन-पाठन को बेहतर माहौल देने के साथ विद्यालयों पर शौचालय की सुविधा छात्र-छात्राओं को मिल सके, इसके लिए जिले से लेकर विद्यालय स्तर तक कागजी खाना पूर्ति की जा रही है। लिहाजा बदहाल शौचालय स्वच्छता के दावों को खोखला करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जिम्मेदार कब इसकी सुधि लेंगे यह भी कहना मुनासिब नहीं । क्यों ही कोई एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोपकर अपना गला छुड़ाने का आदती बनता जा रहा है। यही नहीं जिला स्तरीय अधिकारी निरीक्षण के दौरान पढ़ाई की गुणवत्ता, मध्याह्न भोजन सहित अन्य योजनाओं के विभिन्न बिंदुओं के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर उसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंप देते हैं, लेकिन जब शौचालय व्यवस्था को लेकर कोई सवाल किया जाता हैं तो शायद ही कहीं पर इस कमी को उजागर करने के साथ व्यवस्था में सुधार के लिए ठोस पहल की जरूरत बताई जाती हो। विद्यालय प्रबंधन से लेकर विभागीय जिम्मेदार व्यवस्थाएं बन रहीं हैं, कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि इस पूरी लापरवाही और मनमानी का खामियाजा बच्चों को क्यों भुगतना पड़ रहा है, विभाग पूरे सत्र सिर्फ आश्वासन देकर योजना की छवि सुधारने का दावा करता रहता हैं। दो हजार से अधिक परिषदीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के बीस फीसद स्कूलों को छोड़ दें तो हर विद्यालय पर स्थिति कमोबेश एक जैसी ही है। शौचालय की बदहाली के कारण भले की अलग-अलग हो लेकिन बच्चों को सुविधा न मिल पाने के पीछे जिम्मेदारों की उदासीनता ही सबसे बड़ा कारण है। यहीं नहीं जिन विद्यालयों में शौचालय की सुविधा दी भी जा रही हैं उनमें से अधिकांश में छात्र-छात्राओं के अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था नही हैं। जिसके चलते छात्राओं को मुसीबत उठानी पड़ रही है।
यह है बदहाली के कारण
छात्र.छात्राओं को शौचालय के सही तरीके से प्रयोग के बारे में बताने के बजाय विद्यालय प्रबंधन द्वारा साफ-सफाई कराने से बचने के लिए शौचालय में ताला लगाना। शौचालय के आस पास सफाई न करवाना। शौचालय का निर्माण कार्य पूरा न होना। निरीक्षण के दौरान शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर निर्देशित न करना। अधिकांश विद्यालयों में छात्र व छात्रा के लिए अलग. अलग शौचालय न होना। स्वच्छता को लेकर छात्र छात्राओं व अभिभावकों में जागरुकता की कमी।
अधिकारी कहिन
इस संबध मे जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रकाश सिंह का कहना हैं कि परिषदीय विद्यालयों में शौचालय की सुविधा सभी बच्चे को मिले इसके लिए ब्लाकवार सूची मंगाई गई हैं। जिसमें ऐसे विद्यालय शामिल हैं जहां किन्हीं कारणों से शौचालय व्यवस्था प्रभावित हैं। जिस स्तर पर भी लापरवाही के चलते बच्चों को शौचालय की सुविधा नहीं मिल पा रही उसमें तत्काल सुधार किया जाएगा। जिले से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के ऐसे विद्यालय जहां शौचालय पूरी तरीके से ठीक होने के बावजूद विद्यालय प्रबंधन की मनमानी के चलते प्रयोग नही हो पा रहा है। उन विद्यालयों में व्यवस्था सही कराने के लिए संबंधित खंड शिक्षाधिकारियों को निर्देशित किया गया हैं।

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