जिम्मेंदार सूचना अधिकार में नही देते थे सूचनायें
कौशाम्बी। गांव में विकास के नाम पर अब प्रधान और सचिव मनमानी नहीं कर पाएंगे। भ्रष्टाचार रोकने के लिए शासन ने अब तक विकास के नाम पर खर्च किए गए पूरे बजट को आनलाइन कर दिया है,ताकि हर कोई अपने मोबाइल में ही देख सके कि उसके गांव में विकास के नाम पर कितना धन खर्च हुआ है। प्रशासनिक अमले ने पारदर्शिता लाने के लिए बीते वर्ष वेबसाइट शुरु कर दिया है। इस सेवा के शुरु होने से घोटालेबाज प्रधान और सचिवों की धड़कने तेज हो गई हैं। गौरतलब हो कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को इस बात की जानकारी नहीं हो पाती है कि उनके गांव में विकास कार्य के लिए कितना धन खर्च किया जा रहा है। सबकुछ कागजी कवायद होने की वजह से धन का जमकर बंदरबांट होने की बात भी किसी से छिपी नहीं है,लेकिन जानकारी के अभाव में कोई भी यह नहीं समझ पाता था। इससे पहले कोई गांव में खर्च हुए बजट का ब्यौरा जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगता तो जिम्मेदार अधिकारी किसी को सही से सूचनाएं भी मुहैया नहीं कराते थे जिससे उनकी पोल न खुल जाए। पारदर्शिता न होने की वजह से लोगों तक यह जानकारी नहीं पहुंचती और कोई शिकायत करने को भी तैयार नहीं होता। डिजिटल इंडिया बनाने की कवायद में जुटी सरकार ने इसमें पारदर्शिता लाने के लिए जमीनी कवायद पूरी कर दी। सरकार ने वेबसाइट तैयार कर उसपर प्रदेश भर के सभी जिले,ब्लॉक और ग्राम पंचायतों में विकास कार्य के नाम पर खर्च किए गए धन का डाटा अपलोड करा दिया है।