कौशाम्बी। हरी-भरी फसलों को तैयार करने में किसान का खून पसीना एक हो जाता है लेकिन मामूली का मुनाफा कमाने के चक्कर में कुछ नकली दवा बेचने वाले दुकानदार फसलों के लिए फांसी का फंदा तैयार कर रहे हैं। मुख्यालय मंझनपुर से लेकर गांव तक में फैले इनके जाल में प्रतिदिन अनजाने में न जाने कितने किसान फंस जाते हैं। दूसरी तरफ विभाग की सख्ती भी इन पर नकेल नहीं कस पा रही। किसानों की फसलों को कीटों से रक्षा करने लिए जिले में मात्र तीन दर्जन दुकानों के नाम ही लाइसेंस हैं लेकिन उसकी आड़ में सैकड़ो दुकानें अवैध रूप से खुली हुई हैं। चोरी छिपे चल रही दुकानों पर फसलों की रक्षा के लिए दवा कम उन्हें जान से मारने के इंतजाम ज्यादा किये जा रहे हैं। ज्यादा मुनाफा कमाने के फेर में दुकानदार सस्ती दवाएं रखते हैं और किसान भी इन्हें पहचान नहीं पाते और कम दाम के फेर में फसकर खरीद लेते हैं। इन दुकानों पर नकेल कसने के इंतजाम शासन स्तर पर तो किये जाते हैं फिर भी रोक नहीं लग पा रही है। इस बार कृषि रक्षा इकाई विभाग द्वारा शासन से मिले कुल 60 नमूने भरने के लक्ष्य के सापेक्ष अब तक करीब 10 दुकानों से नमूने भरे गये। इन्हें जांच के लिए भेज दिया गया है रिपोर्ट आने का इंतजार है। इस संबध में कृषि रक्षा अधिकारी का कहना है कि प्रतिबंधित दवाएं रखते हुए या फिर बिना लाइसेंस के कीटनाशक दवा बेचने वाले दुकानदारों पर कड़ी कार्यवाही की जा रही है। जल्द ही एक अभियान चला कर इस तरह के धंधेबाज दुकानदारों पर नकेल सकी जाएगी। कीटनाशक दवा के रूप में प्रयोग होने वाली इण्डोसल्फास दवा को सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार प्रतिबंधित किया गया है इसकी बिक्री पर पूर्णत: रोक लग चुकी है।