राकेश केसरी
कौशाम्बी। श्रीराम लगभग तीन साल पहले कौशांबी के वृद्धाश्रम में आया था। फटे पुराने कपड़े और बढ़ी हुई डाढ़ी में उसे पहचान पाना आसान नहीं था। मानसिक हालत भी बेहतर नहीं थी। उसे न तो घर परिवार की जानकारी थी और न ही यह पता था कि वह कहां का रहने वाला है। बातचीत में हिंदी के साथ पंजाबी शब्दों की अधिकता से अंदाजा लगाया जा रहा था कि वह पंजाबी समाज से हो सकता है। इस दौरान उसकी हालत में सुधार हुआ और मानसिक स्थिति बेहतर हो चुकी है। उसे अब अपने स्वजन याद आने लगे हैं। उसे अपनों से मिलाने के लिए वृद्धाश्रम संचालक ने संपर्क करना शुरू कर दिया है।
ओसा स्थित वृद्धाश्रम में हरियाणा के सिरसा के श्रीराम तीन साल से रहते हैं। आश्रम संचालक आलोक राय ने बताया कि तीन साल पहले वह उन्हें भरवारी रेलवे स्टेशन पर लावारिश हालत में मिला था। उसे आश्रम लाया गया। मानसिक हालत बेहतर नहीं थी। ऐसे में उसका उपचार कराया गया। लगातार उपचार के बाद उसकी हालत में सुधार हुआ है। अब उसे सब कुछ याद आ गया है। वह बताता है कि सिरसा में टेलरिंग करता था। उसकी पत्नी व दो बेटे हैं। एक भाई भी है। उससे मिली जानकारी के बाद उन्होंने उसके अपनों को खोजना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि उनके कुछ मित्र सिरसा में रहते हैं। उनसे संपर्क किया गया है। जिस पते की जानकारी श्रीराम दे रहा है। वहां उसके भाई रहते हैं। फिलहाल उनकी पत्नी व बेटों से अब तक संपर्क नहीं हो सका है। भाई भी कोई सही जानकारी नहीं दे पा रहा है। हालांकि, पत्नी एवं बेटों से संपर्क करने के लिए प्रयास जारी है। बताया कि श्रीराम की हालत में सुधार होने पर वह घर जाने की जिद पर अड़ा है। ऐसे में उसे संभालना भी कठिन हो रहा है।

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