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दीपावली को लेकर तेज हुई,कुम्हारों के चाक की रफ्तार

Sunday, October 9, 2022

/ by Today Warta



राकेश केशरी

लोगों के घर आंगन को रोशन करेंगे मिट्टी के दीये

कौशाम्बी। चाइनीज सामानों पर प्रतिबंध लगने से इस बार दीपावली को लेकर कुम्हारों के चाक की रफ्तार तेज हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में मिट्टी का बर्तन बनाने वाले कुम्हार दिन-रात काम कर रहे हैं। कुम्हारों को उम्मीद है कि अब उनका पुस्तैनी कारोबार फिर से लौट आएगा। दीपावली पर इस बार लोगों के घर आंगन मिट्टी के दीये से रोशन होंगे। बाजार में भी मिट्टी के दीये बिकने के लिए पहुंच गए हैं। लोगों ने दीयों की खरीदारी भी शुरू कर दी है। गांव में सदियों से पारंपरिक कला उद्योग से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में जहां पूरा सहयोग मिलता रहा, वहीं गांव में रोजगार के अवसर भी खूब रहे। इनमें से नगर सहित ग्रामीण क्षेत्र में कुम्हारी कला भी एक रही है, जो समाज के एक बड़े वर्ग कुम्हार जाति के लिए रोजी-रोटी का बड़ा सहारा रहा। पिछले कुछ वर्षों में आधुनिकता भरी जीवनशैली के दौर में चाइनीज सामानों ने इस कला को बहुत पीछे धकेल दिया था। पिछले दो वर्षों से खासा बदलाव आया और एक बार फिर गांव की लुप्त होती इस कला के पटरी पर लौटने के संकेत मिलने लगे हैं। कुम्हारी कला से निर्मित खिलौने, दियाली, सुराही व अन्य मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ी तो कुम्हारों के चेहरे खिल गए। विकासखंड मूरतगंज क्षेत्र के आज भी कुम्हार मिट्टी के दीये के साथ ही बच्चों के खिलौने आदि बनाते हैं।

रोजगार का जरिया बनेगी पुस्तैनी कला 

ग्रामीण क्षेत्रों के कुम्हार समाज के युवाओं का कहना है कि लोगों की बदली सोच से लग रहा है, कि हम नव युवकों के लिए हमारा पुश्तैनी कुम्हारी कला व्यवसाय एक बार फिर रोजगार का जरिया बनेगा। सरकार कुछ आर्थिक सहयोग के साथ तकनीकी तौर पर बिजली से चलने वाला चाक तथा मिट्टी खनन की समुचित व्यवस्था मुहैया करा दे अगर तो और आसान हो जाएगा, लेकिन अब लोग फिर मिट्टी के सामान को प्रमुखता देने लगे हैं। लोग का विदेशी सामानों से मोह भंग हो रहा है। चाइनीज झालरों ने ले ली थी। उल्लेखनीय है कि चाइनीज झालरों व मोमबत्तियों की चकाचैंध ने दीयों के प्रकाश को गुमनामी के अंधेरे में धकेल दिया था। मिट्टी की दियाली व बच्चों के खिलौने अब फिर से गांवों व बाजारों तक में दिखने लगे हैं। मिट्टी से निर्मित होने वाले बर्तनों का उपयोग शुरू होने से पर्यावरण भी सुरक्षित हो रहा है। प्रकाश पर्व दीपावली की तैयारी के लिए अभी से कुम्हार मिट्टी के दीये गढने लगे हैं। 


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