इन्द्रपाल सिंह 'प्रिइन्द्र'
ललितपुर। विश्व वृद्धजन दिवस पर आयोजित एक परिचर्चा को संबोधित करते हुए नेहरू महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो.भगवत नारायण शर्मा ने कहा कि जी हाँ, उत्तम वयोवृद्ध होना एक महान कला है और विवेक से भरे वयोवृद्ध में मानव जाति, जितनी पूर्णता से अभिव्यक्त होती है उतनी और किसी चीज में नहीं, उस वयोवृद्ध में जिसका हृदय हर नूतन चीज के लिए खुला रहता है, जो नई पीढ़ी का अभिनंदन करता है, जो अपने अनुभव को बांटने में सदा तत्पर रहता है, तमाम चिंताओं को दरकिनार करते हुए, जो इस चेतना से अनुप्राणित रहता है कि जो कुछ उसने जीवनपर्यन्त जो प्राप्त किया है, वह भावी पीढिय़ों को हस्तांतरित हो गया है। हमारी आत्मा और मस्तिष्क कभी बूढ़े नहीं होते। संसार के महान चिकित्सक हार्ट सर्जन माइकल डेवेजी ने 90 साल की उम्र में बाईपास सर्जरी में प्रयुक्त पंप को ईजाद किया था, जो आज तक प्रयुक्त है। सीखने सिखाने की प्रकिया अनवरत चलती रहती है। एक बालक की जिज्ञासा, नारी की करुणा और मानवोचित पुरुषार्थ का ऐसा अनूठा संगम हमारे हृदय के आँगन में काश सदा मौजूद रहे। तो आइए हम सभी वृद्धजनों का सम्मान करें, उनकी सुख -सुविधाओं का ध्यान रखें, क्योंकि उन्हीं की दुआओं एवं शुभाशीष से हमारे जीवन की बगिया महक रही है।