राकेश केसरी
कौशाम्बी। सिराथू तहसील क्षेंत्र में पंचायतों की बैठकें पंचायत भवनों पर न होने से पंचायत भवन महज दिखावा साबित हो रहे हैं। आलम यह है कि दर्जनों गांव के पंचायत भवनों का ताला खुला ही नहीं बल्कि कई गांव तो ऐसे हैं जिनके पंचायत भवन पर गांव के दबंगों का अवैध कब्जा है। शिकायतों के बावजूद भी संबंधित विभाग के आला अधिकारियों के कान में जूं नहीं रेंग रही है। गांव के विकास के लिए तैनात ग्राम विकास अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दें रहे हैं। दिलचस्प है प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी का सपना है कि पंचायत स्तर पर ही गांव के गरीबों, किसानों, विकलांगों की शिकायतों का निवारण हो। इसके लिए बाकायदा योजना बन कर तैयार हुई। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद योजना को क्रियान्वयन कराने की जिम्मेदारी विकास खंड अधिकारियों को दी गई,लेकिन आज योजना पूरी तरह फ्लॉप नजर आ रही है। ग्रामीणांचलों में पंचायत भवनों में ग्राम सचिवालय खोलने की व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लग गया है। विकास खंड सिराथू में करीब 90 ग्राम पंचायतें हैं। लगभग सभी ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन मौजूद है। बावजूद इसके शायद ही किसी ग्राम में ग्राम प्रधान की उपस्थिति में इन पंचायत घरो में बैठक की गयी हो। क्षेत्र के विमल कुमार तिवारी, शैलेन्द्र कुमार, नसीम अहमद, आदि का कहना है कि अधिकतर ग्राम प्रधानों ने शासन की मंशानुरूप कार्य नहीं कर रहें है। इस बाबत खंड विकास अधिकारी का कहना है कि खुली बैठकें नियमित पंचायत भवनों पर होनी चाहिए। जिन ग्राम पंचायतों में बैठकें नहीं हो रही हैं उनके विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी।

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