राकेश केसरी
चायल,कौशाम्बी। शराब के कारोबारियों पर पिपरी पुलिस इन दिनों काफी मेहरबान है। इलाके के दर्जनों गांव में जहरीली शराब बनाई जा रही है। इसकी वजह से किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। माना जा रहा है कि पुलिस को इसके लिए हर माह एकमुश्त रकम पहुंचाई जाती है। ऐसे में धंधे को बंद करने की जहमत उठाना अपना ही नुकसान करना होगा। ग्रामीणों के मुताबिक साहब का वरदहस्त होने से पिपरी पुलिस बेलगाम हो चुकी है। जनपद में शराब के कारोबारियों का मकडजाल फैला हुआ है। इधर कई माह से पिपरी इलाके के पेरई, बूंदा, लोधौर, दुगार्पुर, सेंवढ़ा, बरेठी, पेरवा, कदिलापुर, दरियापुर आदि गांवों में शाम होते ही शराब की भट्टियां चढ़ जाती हैं। शराबियों का भी जमावड़ा भी लग जाता है। नशे में धुत होने के बाद शराबी गाली-गलौज व मारपीट करते हैं। इसकी वजह से महिलाओं व बच्चों पर बुरा असर पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि अभियान में पुलिस ऐसे कारोबारियों को ही गिरफ्तार करती है जिनसे उन्हें कुछ खास फायदा नहीं होता। इस धंधे में लिप्त लोग दारु को अधिक नशीली बनाने के चक्कर में तरह-तरह के हानिकारक केमिकल मिलाते हैं जो किसी बड़े हादसे को दावत दे रही है।
कच्ची शराब पर अंकुश लगाने का प्रयास जारी-एसपी
इस संबंध में एएसपी समर बहादुर का कहना है कि कच्ची शराब पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। अभियान चलाकर अभियुक्तों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है। जहां तक महिलाओं के इस धंधे में शामिल होने की बात है तो इसके लिए सामाजिक जागरुकता लाने की जरुरत है। दरअसल इस तरह की गड़बड़ी अशिक्षा के कारण है।
महुआ बना अशांति का कारण
कभी महुआ द्वाबा वासियों के लिए अमृत था आज वहीं गरीबी, पारिवारिक कलह व महिलाओं पर अत्याचार का कारण बन गया है। हालत यह है कि इन दिनों जनपद के दर्जनों गांव में देशी शराब लघु उद्योग का रुप लेता जा रहा है। नई पीढ़ी नशे का शिकार हो रही है। ग्रामीणों की माने तो महुआ को पहले उबाल कर खाया जाता था। शराब के धंधे ने उस परम्परा को तोड़ दिया है।

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