राकेश केसरी
कौशाम्बी। सरकार ने शहरों की तर्ज पर गांवो को हाईटेक बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रो में सचिवालय का सपना संजोया। इस परिकल्पना को साकार करने के लिए गांव.गांव पंचायत भवन के रूप में ग्राम सचिवालय बनवाये गये। जहां एक ही छत के नीचे ग्रामीणों से सीधा संवाद बनाने के साथ.साथ सभी सूचनाएं देने का खाका खींचा था, लेकिन सरकार की यह मंशा जिम्मेदारों की लापरवाही से औंधे मुंह गिर गयी। लाखों रुपए खर्च कर भवन तो तैयार हो गये,लेकिन न तो यहां बैठकें होती हैं और न ही कभी चहल पहल दिखती है। अब हाल यह है कि पशुओं को बांधने के लिए तबेले के रूप में इनका उपयोग होता है। गांवों के विकास के लिए शासन के निर्देश पर जहां गांव-गांव इस मंशा से ग्राम सचिवालय बनवाये कि ग्राम पंचायतों में तैनात कर्मचारी ग्रामीणों के साथ बैठक कर सीधा संवाद बनाते हुए उनकी समस्याओं का निपटारा करते हुए शासन की योजनाओं से ग्रामीणो को अवगत कराये। ग्राम सचिवालयों में खुली बैठकें,मनरेगा, परिवार रजिस्टर की नकल,पेंशन योजना सहित अन्य योजनाओं की जानकारी ग्रामीणों को सहजता से एक ही छत के नीचे मिल पाती। इसी सपने को हकीकत बनाने के लिए सरकार ने पहल की और गांव.गांव लाखों की लागत से सचिवालय बनायें गये। लाखो की लागत से बनने वाले ग्राम सचिवालय खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं। अब न तो बैठकें होती हैं और न ही ग्राम स्तर का कोई कर्मी रहता है। ग्राम पंचायत की बैठके अब प्रधान के चैखटों तक ही सीमित हो गयी है। क्षेत्र में बने कई सचिवालय खंडहर में बदल चुका है। भवन की खिड़की दरवाजे टूट चुके हैं तो चहारदीवारी धराशायी हो चुकी है। शौचालय का बुरा हाल है तो हैंडपम्प का हत्था ही गायब है। क्षेत्र के अधिकांश ग्राम सचिवालयों का यही हाल है। शासन की गांवो को हाईटेक बनाने की मंशा औंधे मुंह गिर गयी और ग्रामीण अभिलेख और जानकारियों के लिए ब्लॉक मुख्यालय का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारों की सेहत पर कोई असर नही है। जिला पंचायत राज अधिकारी बाल गोबिन्द श्रीवास्तव का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। यदि हालात ऐसे हैं तो मामले को जांच होगी।

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