राकेश केशरी
बास्केट आॅफ चॉइस देती है परिवार नियोजन के कारगर विकल्प
कौशाम्बी। बास्केट आॅफ च्वाइस में परिवार नियोजन के लिए नौ साधनों को शामिल किया गया है। इस बारे में उचित सलाह के लिए स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक, परिवार नियोजन काउंसलर, आशा कार्यकर्ता और एएनएम की मदद ली जा सकती है। इससे समाज में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने और बेहतर मातृत्वस्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि शादी के दो साल बाद ही पहले बच्चे के जन्म की योजना बनायी जाए और दूसरे बच्चे के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर जरूर रखा जाए। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने बहुत कारगर और सुरक्षित साधनों से युक्त बास्केट आॅफ च्वाइस मुहैया करा रखी है। इसके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि किसको, कब और कौन सा साधन अपनाना श्रेयस्कर होगा। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ0 एसके झा का कहना है कि जिले में 206 स्वास्थ्य इकाइयों पर परिवार नियोजन काउंसलर व कम्युनिटी हेल्थ आॅफिसर (सीएचओ) एएनएम, स्टाफ नर्स की मदद से बॉस्केट आॅफ च्वाइस के बारे में लाभार्थी की स्थिति के अनुसार सही परामर्श दिया जाता है। प्रत्येक माह की 21 तारीख को आयोजित होने वाले खुशहाल परिवार दिवस, प्रत्येक सोमवार को आयोजित होने वाले अंतराल दिवस एवं प्रत्येक माह की नौ तारीख को आयोजित होने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस पर भी इस बारे में जानकारी दी जाती है । पुरुष और महिला नसबंदी, आईयूसीडी, पीपीआईयूसीडी, त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन, माला एन, कंडोम, छाया और ईसीपी की गोलियां बॉस्केट आॅफ च्वाइस का हिस्सा हैं। सलमा (बदला हुआ नाम) 25 वषीर्या निवासी सकाड़ा मूरत गंज कौशाम्बी बताती हैं कि परिवार को नियोजित रखने के लिए वो अंतरा इंजेक्शन को अपनाती हैं इसी क्रम में उन्होंने अंतरा का तीसरा डोज लगवाया हैं,उन्होंने बताया कि उनके तीन बच्चे हैं,उन्होंने बताया कि अंतरा अपनाने में बहुत सरल हैं और इससे मुझे कोई परेशानी भी नहीं हुई हैं। डॉ0 सुनील बताते हैं कि परिवार नियोजन का साधन हर लाभार्थी अपनी जरूरत और पसंद के हिसाब से अपनाता है, लेकिन काउंसलर और चिकित्सकों को दिशा-निर्देश है कि वह लाभार्थी के उन पहलुओं की भी जानकारी जुटाएं जिनमें कोई साधन विशेष उनके लिए उपयुक्त है या नहीं।