राकेश केशरी
तालाबों के अस्तित्व पर संकट,अतिक्रमणकारी शुष्क कर रहे भावी पीढ़ी का गला
कौशाम्बी। लोग स्वार्थ की भूख मिटाने के लिए भावी पीढ़ी का गला शुष्क कर रहे हैं। तालाब, पोखर पर धड़ल्ले से कब्जे हो रहे हैं। कल तक जहां पर तालाब, पोखर और कुंए थे वहां आज बस्तियां बस गई और ऊची.ऊची इमारतें खड़ीं हैं। जनपद के हालात पर नजर डालें तो खतौनी में दर्ज तालाब, पोखरों और कुंओं में से अब एक चैथाई भी अस्तित्व में नहीं हैं। इन्हें बचाने की निजामी कवायद बेमानी साबित हो रही है। बारिश के जल को संचित करने के लिए तालाब,पोखर,झील और कुंओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है। बारिश के मौसम में तालाब व पोखरे लबालब हो जाते थे और उनका पानी रिसकर भूमि में चला जाता था। इससे उस क्षेत्र में भूजल स्तर में गिरावट नहीं आती थी। लेकिन बढ़ती जनसंख्या और लोगों का स्वार्थ इन जल स्त्रोतों को निगलता जा रहा है। जहां कभी तालाब होते थे वहां आज बुलंद इमारतें खड़ी हैं। अवैध कब्जा कर तालाबों पर मकान बन गयें हैं। आलम यह है कि मात्र चार वर्ष पहले की खतौनी में जनपद में दस हजार से अधिक तालाब, पोखर, झील व कुंए थे, लेकिन अब इनकी संख्या लगभग एक चैथाई रह गई है। इसके साथ ही इन तालाबों के क्षेत्रफल भी काफी घट गए हैं। कई बड़े तालाब अस्तित्व को जूझ रहे जिले के कई बड़े तालाब अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रहे हैं। सिराथू तहसील के शमसाबाद गांव में अडहरा तालाब की गिनती जिले के बड़े तालाबों में होती थी। लेकिन आज इस तालाब का नामोनिशान खत्म हो रहा है। अड़हरा तालाब पर अब मार्केट बन गयी है। जनपद का शायद ही कोई ऐसा गांव बचा हो जहां तालाबों पर कब्जे न किए गए हों।