राकेश केशरी
सिराथू,कौशाम्बी। स्थानीय विकास खण्ड के अमूमन सभी ग्राम पंचायतों में सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान का नारा छलावा साबित हो रहा है। सड़कों के किनारे फैली गन्दगी व जाम नालियां अभियान को मुंह तो चिढ़ाने के साथ-साथ बीमारियों को भी न्योता दे रही हैं। गौरतलब हो कि तमाम कवायदों के बाद भी सड़क किनारे शौच करने की ग्रामीणों कुप्रवृति यहां भारी पड़ रही है। अनगिनत शौचालय निर्माण तथा रैलियों, गोष्ठियों पर लाखों खर्च के बाद भी गांवों के प्रवेश मार्ग पर ही गंदगी का अंबार लगा नजारा देखा जा सकता है। अन्य सम्पर्क मार्गो व पगडंडियों की हालत और भी बदतर है। यद्यपि अभियान के फ्लाप होने के पीछे मुख्यत: ग्रामीण संस्कृति ही कारण है। यदि गांव के पालनहार जन प्रतिनिधियों द्वारा स्वच्छता अभियान को सही ढंग से क्रियान्वित किया गया होता तो इसमें तब्दीली जरूर होती। गांवो में आवंटित शौचालयों पर नजर डालें तो अधिकांश शौचालय अर्धनिर्मित है। किसी की छत नहीं पड़ी तो कहीं टंकी व सीट ही नहीं लगा है। यही नहीं जहां.तहां अभियान चलाकर स्वच्छ शौचालय का निर्माण कराया गया,जो कुछ ही समय बाद निष्प्रयोज्य साबित हो गये। आलम यह है कि इन शौचालयों में उपली,लकड़ी,पुआल व कबाड़ आदि कूड़े-करकट की ढेर लगा दी गई। ऐसे में गरीब ग्रामीण खुले आसमान में शौच करने को विवश है। इस सम्बन्ध में विकास खण्ड अधिकारी का कहना है कि गांवों में बने शौचालय के दुरुपयोग व निष्प्रयोज्य की जांच के लिए एडीओ पंचायत को निर्देशित किया गया है।

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