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खामोशी : कुछ प्रश्नों पर

Tuesday, January 3, 2023

/ by Today Warta



शिवानी पी.एल.पाल(शिक्षिका)

समझ से परे हैं, कुछ सवालों के घेरे हैं,समझ से परे हैं, कुछ सवालों के घेरे हैं!

कि तुम में कुछ ज्यादा क्या,और मुझमें कुछ कम क्या!

समझ से परे हैं, कुछ सवालों के घेरे हैं,क्यों तुम पलकों के सरताज़ बन जाते हो?

क्यों मैं सिर्फ नजरों की मोहताज़ रह जाती हूँ?

समझ से परे हैं, कुछ सवालों के घेरे हैं,तुम्हारी हर मांग जरूरी क्यों? 

और मेरी हर बात अधूरी क्यों ?

 क्यों? तुम्हारे शब्द अमूल्य बन जाते हैं

क्यों? मेरे लफ्ज बंदिश में रह जाते हैं,समझ से परे हैं, कुछ सवालों के घेरे हैं,

पढ़ाई से ज्यादा दहेज जरूरी क्यों?,बेटा-बेटी में असमान दूरी क्यों ?

कुछ लम्हों से रिश्ते बढ़े,एक अजनबी परछाई के साथ ढले!

माना एक पहचान मिली या शायद छवि मेरी खो चली समझ से परे हैं, 

कुछ सवालों के घेरे हैं, तुमने मकान दिया, मैंने घर बना लिया!

जरूरतें तुम्हारी पूरी होती गयीं ख्वाहिशें मेरी कम होती गयीं और सपनों को मेरे कफ़न मिल गया।

छवि मेरी खो चली समझ से परे हैं, कुछ सवालों के घेरे हैं,

इच्छाओं की कश्ती पर मुझे भी खेलना है, तुम्हारे नाम से मेरी पहचान है ये भी मुझे झेलना है,सपनों को हकीकत में बदलना है।

चाहे ठोकर बने तुम्हारी अवहेलना है  समझ से परे हैं, कुछ सवालों के घेरे हैं,

कि तुममें कुछ ज्यादा क्या ?

मुझमें कुछ कम क्या? फुरसत में कभी 'खुद से प्रश्न कर लेना

कि मुझमें ज्यादा क्या या उसमें कम क्या है? समझ से परे हैं, कुछ सवालों के घेरे हैं, कि तुममें कुछ ज्यादा क्या ? मुझमें कुछ कम क्या? ?


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