राकेश केशरी
कौशाम्बी। मोटे अनाज सेहत के लिए बेहतर होने के साथ ही स्वाद से भरपूर हैं। इनके उत्पादन में जहां उर्वरक का प्रयोग कम होता है। वहीं, यह प्रकृति से ज्यादा जुड़ाव भी रखते हैं। इससे सेहत के साथ ही खेत की मिट्टी की गुणवत्ता भी बनी रहती है। इनकी खूबियों के कारण अब मोटे अनाज को बढ़ावा देने का प्रयास हो रहा है। मोटे अनाज हर लिहाज से बेहतर हैं। ऐसे में कृषि विभाग इन अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। आम तौर पर जितने क्षेत्रफल में मोटे अनाजों का उत्पादन होता था। इस बार कृषि विभाग ने करीब साढ़े तीन हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल अधिक उत्पादन का लक्ष्य रखा है। जिला कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डा. मनोज कुमार सिंह की मानें तो कृषि विज्ञान केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रहा है। इनके उत्पादन के लिए अधिक से अधिक किसान आगे आएं, इसके लिए उन्हें प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मोटे अनाज स्वाद के साथ ही सेहत से भरपूर होते हैं। यह हमारे किसी भी तरह के खेत में उग सकते हैं। इनके लिए अधिक पानी और देखभाल की जरूरत नहीं होती है। किसी भी प्रकार के मौसम में यह फसलें उगाई जा सकती हैं। उन्होंने मोटे अनाज व उनके गुणों को लेकर खास जानकारी दी। बताया कि हर अनाज में कुछ न कुछ विशेषता होती है। इसके कारण हमारे पूर्वज इनका सेवन कर सैकड़ों सालों तक निरोगी रहते हुए जीवित रहते थे।
मोटे अनाज और उनके गुण
कोदो मिलेट- यह लालरंग का होता है। औषधीय गुणों से भरपूर कोदो कफ और पित्त दोष को शांत करता है। कोदो मिलेट को ब्लड प्यूरीफायर कहा जाता है। यह डायबिटीज, हार्ट, कैंसर और पेट संबंधी समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। कोदो मिलेट लिवर और किडनी के लिए अच्छा अनाज है। कोदो मिलेट से बनने वाले प्रमुख उत्पादों में कोदो खिचड़ी, कोदो पुलाव, कोदो उपमा, कोदो डोसा व कोदो खीर प्रमुख है।
संवा-इस फसल को सनवा व झंगोरा और बार्नयार्ड के नाम से भी जाना जाता है। प्रोटीन और आयरन की मात्रा बार्नयार्ड में अन्य अनाज से ज्यादा होती है। इसके सेवन से खून की कमी दूर होती है। शरीर मजबूत बनता है। डायबिटीज, हार्ट डिजीज, कैंसर आदि बीमारी में इस अनाज का सेवन किया जाता है। इसे भिगोकर अंबलि, खिचड़ी, डोसा, इडली व उपमा आदि बनाया जा सकता है।
कुटकी-यह प्रोटीन, फाइबर और आयरन का बहुत बढ़िया स्रोत है। कुटकी के सेवन से डयबिटीज को रिवर्स किया जा सकता है। यह ह्दय के लिए अच्छा अनाज है। माइग्रेन में इसके सेवन से आराम मिलता है। यह एसिडिटी, अजीर्ण, खट्टी डकार जैसी समस्या से छुटकारा दिलाता है। इसे हार्मोन का संतुलन बनाए रखने के लिए अच्छा माना जाता है। नपुंसकता और बांझपन से भी यह बचाता है। कुटकी से बनने वाले प्रमुख उत्पादों में कोदो खिचड़ी, कोदो पुलाव, कोदो उपमा, कोदो डोसा, पायसमा व कोदो खीर प्रमुख है।
चना- यह फाइबर से भरपूर ग्लूटेन मुक्त मिलेट है। इसमें विटामिन बी-६, जिंक, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस जैसे मिनरल्स व एमिनो एसिड मौजूद होते हैं। इसके सेवन से खून की कमी नहीं होती, वजन नियंत्रित रहता है। डायबिटीज का खतरा कम होता है। मानसिक व्याधियों से बचाव होता है। इससे ह्दय को स्वस्थ रखने में मदद मिलता है। प्रोसो मिलेट से बनने वाले प्रमुख उत्पादों में प्रोसो मिलेट खिचड़ी, पोसो मिलेट दही बड़ा, प्रोसो मिलेट उपमा, प्रोसो मिलेट डोसा प्रमुख हैं।
रामदाना-इसे राजगिरा व चैलाई के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर रामदाना का इस्तेमाल व्रत और उपवास में फलाहार के रूप में होता है। इसमें फाइबर, मैग्नीशियम, प्रोटीन, फास्फोरस और आयरन भरपूर मात्रा में होता है। रामदाना में मैग्नीज अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इसमें मौजूद प्रोटीन और फाइबर की मात्रा मांसपेशियों के निर्माण व पाचन क्षमता को बनाए रखने में मदद करती है। इससे बनने वाले भोज्य पदार्थों में रामदाना हलवा, रामदाना खीर, रामदाना चिक्की, रामदाना लड्डू, रामदाना डोसा, रामदाना पूरी, रामदाना पराठा, रामदाना लौकी उत्तपम और रामदाना कढ़ी प्रमुख है।
क्ुट्टू-इसका प्रयोग व्रत के दौरान खाई जाने वाली चीजों में होता है। कुट्टू का आटा प्रोटीन से भरपूर होता है। इसमें मैग्नीशियम, विटामिन- बी, आयरन, कैल्शियम, जिंक, कापर, मैग्नीज और फास्फोरस भरपूर मात्रा में होती है। इसमें काइटोन्यूटिएंट प्रोटीन भी होता है, जो कोलेस्ट्रोल और ब्लडप्रेशर को कम करता है। कुट्टू से बनी टिक्की, रामदाना कुट्टू समोसा, कुट्टू के आटे के दहीबड़े, पकौड़े, मोठ बाजरे की कुट्टू रबड़ी, उत्तपम, पत्ता गोभी पराठे, कुट्टू चिल्ला व कुट्टू कुल्चा प्रमुख उत्पाद हैं।