राकेश केशरी
कौशाम्बी। काश चुनावों में जगा एवं जागरुकता का पर्याय बना हमारा लोकतंत्र ऐसे ही सदैव जागरुक रहता। समाज के आम आदमी की खबर रखता,सबकी झोली भरता,सबके रोटी सबके खेती की चिंता करता तो आम आदमी कभी भी अपने को उपेक्षित नहीं समझता। यह कहना है नगर पालिका परिषद मंझनपुर के घना के पुरवा निवासी मतदाता उमेंश पाल का। उन्होंने कहा कि हर गली हर मोड़, नुक्कड़,चैराहे पर जहां भी जाता हूं हमदर्द मिल ही जाते हैं। मगर मेरी व्यथा भरी कथा यह है कि यही हमदर्द चुनावों के बाद हमदर्दी तो दूर पहचान तक नहीं पाते हैं। हाथ जोडने के बावजूद भी आगे बढ़ जाते हैं। यानि मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं,गिरगिट की तरह रंग बदलतें हैं। रहनुमाओं की यह अदा लोकतंत्र पर भारी पड़ती है।