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मोतियाबिंद के ऑपरेशन से समीर की जिंदगी हुई रोशन

Sunday, April 30, 2023

/ by Today Warta



इन्द्रपाल सिंह'प्रिइन्द्र

मोहल्ला रैदासपुरा में रहने वाले समीर को आंखों में था जन्मजात मोतियाबिंद

पिता बोले, अब पढ़ा लिखाकर संवार सकेंगे बच्चे का भविष्य

जन्मजात बीमारियों से ग्रसित बच्चो के चेहरे पर लौट रही मुस्कान

ललितपुर। जनपद के मोहल्ला रैदासपुरा निवासी दस वर्षीय समीर की जिंदगी ही बदल गयी है। जहां आंख में जन्मजात मोतियाबिंद होने के कारण आने जाने की असुविधा थी। वहीं, बीमारी के चलते पढ़ाई भी शुरू नहीं हो पा रही थी। राष्ट्रीयबाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके)के तहत हुए आपरेशन ने इसका समाधान कर दिया है। इससे अब पिता को बच्चे के बेहतर भविष्य का सपना पूरा होते दिखाई देने लगा है। समीर के पिता खेमचंद बताते हैं कि वह स्वयं जन्मजात मोतियाबिंद की समस्या से ग्रसित रहे हैं। एक निजी अस्पताल में मोतियाबिंद का आपरेशन कराया था। उनके भी दो बच्चों में जन्मजात मोतियाबिंद की समस्या मिली। समीर और उसकी बहन की आंखों में मोतियाबिंद की चिंता उन्हें सताने लगी। जनवरी माह में ग्राम मड़ावरा में मोतियाबिंद आपरेशन का एक कैंप आयोजित किया गया। इसमें समीर की बाई आंख और उसकी बहन की आंख का आपरेशन किया गया, इससे समीर की बाई आंख और उसकी बहन की आंख की रोशनी लौट आई। लेकिन समीर की दाई आंख में समस्या ज्यादा थी, इस पर खेमचंद को जिला चिकित्सालय में परीक्षण के लिए बोला गया,यहां के चिकित्सक ने इलाज के लिए रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज झाँसी रेफर कर दिया। मेडिकल कॉलेज में आरबीएसके के अंतर्गत गत 18 अप्रैल को सर्जरी की गयी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. जे.एस.बक्शी ने बताया कि आरबीएसके कार्यक्रम अंतर्गत बच्चों में जन्मजात ह्रदय रोग, कटे होंठ, गूंगे, बहरे, टेढ़े मेढ़े पैरो का इलाज व आपरेशन किया जाता है। इस कार्य में विभिन्न संस्थाएं भी सहयोग कर रही हैं। इनमें स्माइल ट्रेन आगरा, डा.एस एन महरोत्रा फाउंडेशन, अलीगढ़ मेडिकल कालेज, मिरकल क्लब फुट संस्था आदि शामिल है। इससे अभिभावकों को उपचार के लिए भटकना नहीं पड़ता है। वर्ष 2022-23 में आरबीएसके के अंतर्गत कुल 98 जन्मजात बीमारियों से ग्रसित बच्चों की सर्जरी कराई गयी। नोडल अधिकारी डा.आर.एन.सोनी ने बताया कि आरबीएसके कार्यक्रम के अंतर्गत 44 प्रकार की जन्मजात बीमारियों का इलाज किया जाता है। इस कार्य में आरबीएसके की ब्लॉक स्तरीय टीम लगी हुई हैं,जो समय समय पर स्कूल, आंगनबाड़ी एवं डिलेवरी प्वाइंट पर भ्रमण कर बच्चों का चिन्हीकरण करती हैं। इसके उपरांत चिन्हित बच्चों का उपचार संबंधित चिकित्सालय कराया जाता है। डीईआईसी मैनेजर डा. सुखदेव पंकज ने बताया कि इस कार्यक्रम में 4 डी पर फोकस रहता है, जिसमें डिसीज, बर्थ डिफेक्ट, डेवलपमेंट डिले, डिफिशिएंसी डिजीज शामिल है। इन जन्मजात बीमारियों से ग्रसित बच्चों को परीक्षण उपरांत उन्हें संबंधित जगहों पर उपचार के लिए भेजा जाता है। इससे बच्चों को जन्मजात विकृति से छुटकारा मिल जाता है।

इतने हो चुके मोतियाबिंद के ऑपरेशन

वर्ष 2020- 21 में 3, वर्ष 2021- 22 में 5, वर्ष 2022- 23 में1, वर्ष 2023- 24 में 2 जन्मजात मोतियाबिंद के आपरेशन किए जा चुके हैं।

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